बासुकिनाथ में 200 साल पुराने हरिपुर दुर्गा मंदिर में बंगाली पद्धति से होती है मां दुर्गा की विशेष पूजा
पूरी होती है हर मनोकामना! एकादशी को यहां होता है भव्य मेला का आयोजन
बासुकिनाथ. दुर्गोत्सव की तैयारी पूरे जोर-शोर से चल रही है. गांव-गांव भक्ति के रंग में रंगा नजर आ रहा है. सड़कों और गलियों में कला, संस्कृति व आस्था के रंग बिखरने लगे हैं. दुर्गोत्सव में आम लोगों से लेकर हरिपुर दुर्गा पूजा समितियों के कार्यकर्ताओं और कलाकारों में भी काफी उमंग है. जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत हरिपुर बाजार नीचे टोला स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है. दुर्गा मंदिर में मां भगवती की पूजा धूमधाम से की जा रही है. 1929 में ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया था. बाद में ग्रामीणों के द्वारा मंदिर में आकर्षक लुक दिया गया है. मंदिर में भक्तों की भीड़ पूजा अर्चना के लिए लगी रहती है. नवरात्र का तीसरा दिन है, मंदिर में मां चंद्रघंटा की पूजा की गयी. मंदिर में माता दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित कर बंगाली पद्धति से यहां माता दुर्गा की पूजा-अर्चना होती है. समिति के सदस्य डाॅ रामवृक्ष साह ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से इस मंदिर में पूजा होती आ रही है. इस मंदिर में भक्तों द्वारा मांगी गयी मन्नत पूरी होती है. सप्तमी से दशमी तिथि तक मंदिर में हजारों लोगों की भीड़ लगी रहती है. ग्रामीण मुकेशहिम्मत सिंहका, रंजीत साह, नीलम दे आदि ने बताया कि एकादशी के दिन यहां भव्य मेला का आयोजन होता है. भक्तों ने बताया कि माता के दरबार में जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से जाते हैं उनकी मन्नते पूरी करती हैं. नवमी पर यहां सैकड़ों पाठा की बलि प्रदान की जाती है. क्षेत्र के लक्ष्मीपुर, जड़ताल अंबा, कटहारा, भोराबाद, ताराजोरा, हल्दी पट्टी सहित दर्जनों गांव के लोग मेले में पहुंचकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नवरात्र के दौरान माता के मंदिर में ग्रामीण भक्तों की भीड़ लगी रहती है. यहां बंगाली पद्धति से पूजा का विशेष महत्व है. विधि-विधान के साथ मां भगवती की विशेष आरती और समाज के सहयोग से महाप्रसाद वितरण होता है. वैदिक मंत्र दुर्गा सप्तशती पाठ भक्तों की भीड़ व भक्ति रस रूपी मधुर संगीत से माहौल भक्तिमय बना हुआ है. दुर्गा मंडप में आस्था व समर्पण की भावना का अनूठा संगम दिखता है. ढोल नगाड़ों के बीच भक्त उत्सवी माहौल में रंगे हुए हैं. पूजा के सफल संचालन में पूजा समिति के अनेकों सदस्य लगे हुए हैं. मंदिर में आकर्षक पंडाल बनाया जा रहा है. क्या कहते हैं पूजा समिति के सदस्य
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