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सूखजोरा नाग मंदिर में 40 हजार से अधिक भक्तों ने की पूजा अर्चना

दूर-दराज से आये श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ उमड़ी रही और लोगों ने अपने परिवार की कुशल मंगल की कामना की

नोनीहाट. जरमुंडी प्रखंड की पेटसार पंचायत अंतर्गत सूखजोरा नाग मंदिर में रविवार को नाग बाबा की पूजा को लेकर भक्तों की भीड़ लगी रही. पूजा समिति के प्रमुख देवनंदन माजी ने बताया कि नाग बाबा मंदिर का पट सुबह 4:00 बजे से खुल गया था और देर शाम तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा. दूर-दराज से आये श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ उमड़ी रही और लोगों ने अपने परिवार की कुशल मंगल की कामना की. आद्रा नक्षत्र आरंभ से समाप्त होने तक सूखजोरा के नाग मंदिर में पूजन का सिलसिला चलता रहता है. इस अवसर पर नाग देवता को लोग यहां डलिया अर्पित करते है. नाग बाबा के प्रति श्रद्धा रखने वाले मुस्लिम बिरादरी के लोग भी मेले में शामिल थे. मनोवांछित फल प्राप्ति पर बड़ी संख्या में लोगों ने बकरा बलि भी दी. मेला में शांति सुरक्षा को लेकर मेला आयोजन से जुड़े स्वयंसेवक जहां सक्रिय थे. वहीं, पुलिस बल को भी मेला में शांति बनाए रखने के लिए तैनात रखा गया था. प्रसिद्ध और व्यापक रूप से सूखजोरा नाग मंदिर विश्वास एवं आस्था का प्रतीक माना जाता है.

औडतारा के विख्यात नाग बासुकी मंदिर में भी विशेष अनुष्ठान संपन्न

रामगढ़. रामगढ़ तथा सरैयाहाट प्रखंड की सीमा पर अवस्थित रामगढ़ प्रखंड के सिलठा बी पंचायत के औडतारा ग्राम में अवस्थित विख्यात नाग मंदिर में रविवार को विसर्जन के साथ ही विशेष वार्षिक पूजन का पंद्रह दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हुआ. इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया गया. मंदिर में श्रद्धालु सुबह से ही बड़ी संख्या में पहुंचने लगे थे. परंपरा अनुसार श्रद्धालुओं ने बांस की डाली में धान का लावा, यज्ञोपवीत, पान, सुपारी, बताशा, गाय का कच्चा दूध आदि समर्पित किया. मंदिर में नाग देवता को सैकड़ों बकरों एवं हजारों कबूतरों की बलि भी चढ़ाई गयी. मंदिर के मुख्य पुजारी सूर्य नारायण मांझी एवं सनातन मांझी के अनुसार सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को यदि जीवित अवस्था में औडतारा के नाग मंदिर में ले आया जाये तथा विष से पीड़ित व्यक्ति को यहां के पुजारी द्वारा नाग देवता का नीर पिला दिया जाये तो उसका विष निश्चित रूप से उतर जाता है तथा उसके प्राणों की रक्षा हो जाती है. इसी वजह से औडतारा के नाग मंदिर की मान्यता दिनों दिन बढ़ती जा रही है. ग्रामीण धर्मेंद्र कुमार बताते हैं के यहां आसपास के लोग कई पीढियां से नाग की पूजा परंपरागत ढंग से करते आ रहे हैं. पूर्व में यहां नाग स्थान था. 1998 में नाग स्थान का जीर्णोद्धार कर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. इस मंदिर में पूजा करने के लिए सालों भर श्रद्धालु आते हैं. सर्प विष के प्रभाव से मुक्त होकर आरोग्य प्राप्त करने वाले श्रद्धालु या उनके परिजन वार्षिक पूजा के विसर्जन के दिन आकर भोजन के बाद बकरे या कबूतर की बलि देते हैं. वैसे तो यहां बाली सालों भर दी जाती है लेकिन आद्रा नक्षत्र के प्रवेश के साथ ही यहां पनढार के साथ पंद्रह दिवसीय वार्षिक पूजन प्रारंभ हो जाता है. इस अवधि में मंदिर के साथ आसपास के गांवों में बलि पर पूरी तरह से रोक लग जाती है. इस दौरान मांसाहार बंद हो जाता है. औडतारा के नाग मंदिर के साथ गम्हरिया हाट, फूलजोरा, कपाटी, कांजो, लाल झरनी जैसे गांव में अवस्थित नाग स्थानों में भी वार्षिक पूजन रविवार को संपन्न हो गया. जबकि बड़ी रण बहियार पंचायत के सुहो दुहो स्थित नाग मंदिर में वार्षिक पूजन शनिवार को ही संपन्न हो गया था.

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