दुमका में माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा कारात ने कहा, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा जहां जाते हैं, जहर की पुड़िया फैला जाते हैं
मोदी सरकार की इजाजत से झारखंड में हो रही जमीन की लूट का, बड़ीं कंपनियाें द्वारा लूटी जा रहीं आदिवासियों की जमीन
दुमका. माकपा की पाेलित ब्यूरो सदस्य और शीर्ष नेत्री वृंदा करात ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर कहा है कि भाजपा के नेताओं को झारखंड में बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा की जा रही जमीन की लूट नहीं दिख रही है. मोदी सरकार की इजाजत से झारखंड में जमीन की लूट हो रही है. बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा यहां के आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. इसी संताल परगना के गोड्डा में पावर प्लांट लगा है, लेकिन यहीं के लोग बिजली के लिए तरस रहे हैं. बिजली बांग्लादेश को भेजी जा रही है. इसपर भाजपा के नेता क्यों कुछ नहीं बोलते. उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जहां भी जाते हैं, जहर की पुड़िया साथ लेकर जाते हैं और हर जगह यह जहर फैलाते जाते हैं. वृंदा ने संताल परगना रैयत अधिकार एवं विस्थापन रोको हूल मोर्चा के कन्वेंशन के उपरांत कहा कि आज देश में ग्रामसभा को खत्म कर दिया गया है. पेसा कानून को खत्म कर दिया गया है. मोदी सरकार ने कोल ब्लाॅक की नीलामी द्वारा सरकारी और निजी कंपनियों को कोयला खनन के लिए कोल ब्लाक आवंटित किये हैं. ये कंपनियां यहां के आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन की रक्षा के लिए बने संताल परगना काश्तकारी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राम सभा को दर किनार कर स्थानीय दलालों के माध्यम से रैयतों के जमीन की लूट जारी रखे हुए हैं. अमड़ापाड़ा के पचुआडा कोल ब्लाॅक के समीप बसे गांवों में इन दलालों का इतना आतंक है कि आम आदिवासी रैयत कंपनी के खिलाफ मुंह तक नहीं खोलते हैं. दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम कोल इंडिया की कंपनी इसीएल ने भी कोयला खनन का काम आउटसोर्सिंग कंपनियों के हवाले कर दिया है, जिन्हें न तो कामगारों के हितों की परवाह है और न ही रैयतों के अधिकारों की. इस मुद्दे पर यहां के सांसद और विधायक भी अघोषित रूप से निजी कंपनियों के पक्ष में ही खड़े रहते हैं. वृंदा ने कहा कि साहिबगंज जिले से गंगा नदी गुजरती है गंगा की सफाई के नाम पर केंद्र सरकार की ””””””””नमामी गंगे”””””””” परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद साहिबगंज शहर के समीप गंगा नाले में तब्दील हो गयी है. एक ओर ””””””””नमामी गंगे”””””””” परियोजना की विफलता और दूसरी ओर अदाणी के गोड्डा स्थित पावर प्लांट के लिए सकरी गली में निर्मित बंदरगाह के पास से 36 एमसीएम प्रतिवर्ष यानि 10 करोड़ लीटर प्रति दिन गंगाजल का दोहन इस इलाके के लोगों के लिए खतरे की घंटी है. क्योंकि जैसे- जैसे गंगाजल का दोहन बढेगा इस इलाके में जलस्तर नीचे होता जाएगा. जिसका दुष्परिणाम यहां के लोगों को झेलना पड़ेगा. एक बड़ी समस्या यहां निजी कोयला कंपनियों द्वारा कोयले का खनन करने के बाद उसके परिवहन सेे आ रही है. अमड़ापाड़ा स्थित ओपेन कोयला खानों से कोयला निकाल कर निजी कंपनियों द्वारा बड़े-बड़े हाइवा वाहनों से कोयला दुमका और पाकुड़ के डंपिंग यार्ड तक सड़क मार्ग से भेजा जाता है. कोयला के परिवहन में सैकड़ों वाहन कोयले की धूल उड़ाते हुए राजमार्ग से गुजरते हैं, जिसके चलते भारी प्रदूषण हो रहा है और कभी हरा भरा दिखने वाला यह इलाका कोयले के काले डस्ट से रोड के किनारे बसे गांवों को अपने आगोश में ले लिया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोयले को ढंक कर ले जाने और रास्ते में पानी का छिड़काव करने का दिशा निर्देश केवल कागजों तक सीमित रह गया है. इस प्रदूषण के कारण यहां का पर्यावरण संतुलन भी नष्ट होता जा रहा है. वातावरण में कोयले के महीन कणों की मौजूदगी लोगों को सांस की बीमारी का आमंत्रण दे रहे है. इतना ही नहीं कोयला परिवहन के रूट में रोज दुघर्टनाएं होती हैं और ग्रामीण मौत के शिकार बन जाते है. अब नए खनन परियोजनाओं के लिए जंगलों को काटा जा रहा है. गोड्डा जिले के बोआरीजोर और दुमका जिला के गोपीकांदर में 550 हेक्टेयर जमीन में अवस्थित पेड़-पौधों को काटा जा रहा है. कन्वेंशन की अध्यक्षता आदिवासी अधिकार मंच के सुभाष हेंब्रम और मेरी हांसदा की दो सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की. कन्वेंशन को प्रसिद्ध गांधीवादी और विस्थापन विरोधी आंदोलन के नेता चिंतामणी साह, जनवादी आंदोलन के नेता प्रकाश विप्लव, पुष्कर महतो, एहतेशाम अहमद, बिटिया मांझी, अधिवक्ता शिव प्रसाद, ओम प्रकाश, प्रफुल्ल लिंडा, सनातन देहरी, केसी मार्डी, संतोष किस्कू, ब्रेनचिस मुर्मू, बगईचा की दीप्ती मिंज ने संबोधित किया. कन्वेंशन में एक प्रस्ताव पारित कर सितंबर के अंतिम सप्ताह में आयुक्त संताल परगना के समक्ष एक धरना आयोजित किए जाने की घोषणा की गयी.
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