दुमका नगर. धर्मस्थान सार्वजनिक दुर्गापूजा समिति के द्वारा 190 वर्षों से धर्मस्थान मंदिर में दुर्गापूजा का आयोजन किया जा रहा है. वैष्णवी मत से मां की आराधना होती है. दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. मंदिर आकर्षक पंडल और लाईट से सजाया गया है. धर्मस्थान मंदिर शहर के बीच होने के कारण लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मंदिर तक आनेवाले सड़कों पर सात तोरण द्वार बनाये गये है. बता दें कि मंदिर में स्थायी प्रतिमा की पूजा होती है. पूर्व में समिति मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करती थी. वर्तमान में स्थायी प्रतिमा की पूजा अर्चना होती है. मंदिर परिसर को आकर्षक लाइटों से सजाया गया है. साजसज्जा के लिए बीरभूम के राज नगर के डेकोरेटर को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इसके अलावा मंदिर में आरती के लिए बंगाल से 11 ढाक लाया गया. अष्टमी के दिन मंदिर में अत्यधिक भीड़ होती है. भक्तों की सुविधा को देखते हुए पूजा के लिए समिति की ओर से विशेष व्यवस्था की गयी है. मंदिर परिसर पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसलिए पुलिस बल के साथ समिति के सदस्य तैनात रहेंगे. कोट अष्टमी पूजा के लिए समिति की ओर से विशेष व्यवस्था की जायेगी. ताकि भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी न हो. 12 अक्तूबर को कलश विसर्जन किया जायेगा. मंदिर में लोगों की सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम रहेगा. भीड़ पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. दीपक स्वर्णकार, सचिव दुर्गास्थान मंदिर में 154 वर्षों से हो रही दुर्गापूजा दुर्गास्थान मंदिर में 154 वर्षों से धूमधाम से दुर्गापूजा का आयोजन हो रहा है. समिति के सदस्यों ने बताया इस वर्ष पंडाल और लाइट दुर्गापूजा का मुख्य आकर्षण रहेगा. मां की प्रतिमा को मूर्तिकार अक्षय दास के बनाया जा रहा है. नाला के डेकोरेटर विजय पाल लाइट साजसज्जा की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं. वहीं गेट और पंडाल का निर्माण डेकोरेटर जनमंजय मंडल की टीम कर रही है. एकादशी तक मेला का आयोजन किया जाता है. दुर्गास्थान मंदिर मुख्य सड़क पर होने के कारण लोगों की भीड़ लग जाती है. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए पुलिस पदाधिकारी व जवानों को तैनात किया जाता है. आपातकालीन स्थिति से निबटने के लिए अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था की गयी है. अष्ठमी और नवमी में भक्तों की भीड़ देवी दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. कमेटी की ओर से विशेष व्यवस्था की जाती है. मंदिर या मेला परिसर आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए चारों ओर सीसीटीवी कैमरा लगाये गये है. इतना ही चारों ओर समिति के सदस्य गतिविधि पर नजर बनाये रखते हैं. एकादशी की रात को प्रतिमा विसर्जन किया जायेगा.
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