गलती हो जाए तो प्रायश्चित जरूर करें, परमात्मा से जीव के मिलन का ही नाम मोक्ष
सिंहनी चमराबहियार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ. कथावाचक व्यासानंद महाराज ने कहा कि भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन मे परेशानियों का उत्तम समाधान देती है.
बासुकिनाथ. श्रीमद्भागवत कथा पंडाल जरमुंडी प्रखंड सिंहनी चमराबहियार में भगवत भक्तों की भीड़ लग रही है. श्रीमदभागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन मंगलवार को कथा व्यास व्यासानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा सुनायी. कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं, लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है. उन्होंने कथा प्रसंग सुनाते हुए पांडवों के जीवन में होने वाली श्रीकृष्ण की कृपा को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया. कहा कि परीक्षित कलियुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं. उसी के पश्चाताप में वह शुकदेवजी के पास जाते हैं. भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है. साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है. कथा व्यास ने बताया कि हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया. इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया. भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए. परमात्मा दिखायी नहीं देता है, वह हर किसी में बसता है. इसी प्रश्न के समाधान में श्रीमद्भागवत का प्राकट्य हुआ है. यह कथा संसार में रहने व जीने का मर्म सिखाती है. भागवत भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जन्म-जन्मांतर के पापों से प्राणियों का उद्धार होता है. श्रीमद् भागवत साक्षात शब्द रूप परब्रह्म है, जिसके श्रवण से ईश्वर के प्रति अनुराग उत्पन्न होता है. ईश्वर के प्रति अनुराग होने से ईश्वर का सानिध्य प्राप्त होता है. जीवन में अपना कल्याण चाहने वाले सभी प्राणियों को भागवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. इस अवसर पर श्रीमद भागवत कथा आयोजन समिति के सदस्य कार्यक्रम को सफल बनाने में तन-मन से लगे हुए हैं.
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