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प्रेशर हार्न व मॉडिफाइड साइलेंसर लगाकर चल रहे कई वाहन

मोटर ह्वीलर एक्ट प्रावधान की हो रही अनदेखी, शहरी क्षेत्र के लोग हैं परेशान

दुमका. जिले में कई बसों, ट्रकों और अन्य वाहनों में प्रेशर हार्न लगा दिये जाने से लोगों को परेशानी हो रही है. खासकर शहरी क्षेत्र और आबादी वाले इलाके में लोग इससे बहुत परेशान है. स्कूल-काॅलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, हेल्थ क्लिनिक आदि क्षेत्र में ऐसे हार्न के उपयोग से लोगों की दिक्कत बढ़ती ही जा रही है. कई टू-ह्वीलरों में मॉडिफाइड साइलेंसर लगातार भी युवा खूब फर्राटा भर रहे हैं. ऐसे वाहनों पर जिला परिवहन कार्यालय और सड़क सुरक्षा समिति ने अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है. न ही अभियान चलाया है. ऐसे वाहनों के परिचालन से सबसे ज्यादा परेशानी रात के वक्त होती है. दरअसल, कोई भी वाहन निर्माता कंपनी सरकार द्वारा निर्देशित-निर्धारित मानकों के अनुरूप ही वाहन तैयार करती है. वाहनों के निर्माण में वाहन चालक के साथ-साथ अन्य लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उपकरण लगाये जाते हैं. इनमें एक हार्न भी है. हार्न सभी वाहनों के लिए अलग-अलग होती है. ऐसे में मानक के अनुरूप पूर्व से लगे हार्न या साइलेंसर में कुछ भी परिवर्तन करना या मॉडिफाई करवाना गैरकानूनी माना जाता है. चाहें बस चालक हों या फर्राटा भरनेवाले युवा, अपनी गाड़ी को यूनिक बनाने के लिए उसके साथ छेड़छाड़ कर बैठते हैं, जिसका उन्हें आगे चलकर हर्जाना भरना पड़ता है. मोटर ह्वीलर एक्ट 2019 में जोड़े गये नये प्रावधानों के मुताबिक किसी भी वाहन में अलग से प्रेशर हॉर्न लगाना गैरकानूनी है. इस कारण आपके साथ-साथ आपके आसपास के लोगों को भी परेशानी होती है. ध्यान रखने योग्य बात यह है कि शहर के भीड़-भाड़ और शांत इलाकों में प्रेशर हॉर्न बजाने की मनाही होती है. शांत इलाकों में अस्पताल, शिक्षण संस्थाएं, न्यायालय, समाहरणालय, सार्वजनिक मंदिर या अन्य पूजा स्थल आते हैं. प्रेशर हॉर्न लगाने पर क्या हो सकती है कार्रवाई : मोटर वाहन अधिनियम के तहत प्रेशर हॉर्न पर 10000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है. अगर कोई व्यक्ति रेग्युलर रूप से प्रेशर हॉर्न लगाता है, तो उसका लाइसेंस भी सस्पेंड किया जा सकता है. कार या मोटरसाइकिल को जब्त किया जा सकता है. मामला कोर्ट तक पहुंचने पर तीन महीने तक की जेल हो सकती है. प्रेशर हॉर्न लगाने से जुड़ी कुछ और बातेंः प्रेशर हॉर्न लगाना गैरकानूनी है. वाहन बनाने वाली कंपनियां सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक ही उसमें फीचर मुहैया कराती हैं. वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगाने से आस-पास के लोगों को परेशानी होती है. हादसे का खतरा भी बढ़ जाता है. तेज गति से बाइक चलाकर और कई बार किसी के पास जाकर प्रेशर हॉर्न बजाने से दूसरा चालक घबरा जाता है.

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