एआइ मानवीय व्यवहार का मशीनी नकल, कमांड पर करता है काम: डॉ शर्मा
प्राचार्य सह संरक्षक डॉ खिरोधर प्रसाद यादव ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है. शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को इससे ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने को प्रेरित किया.
एआइ एंड मशीन लर्निंग पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के दूसरे दिन कई एक्सपर्ट ने रखे विचारसंवाददाता, दुमकाएसपी कॉलेज दुमका में “इंटरनेशनल वर्कशॉप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग: द नेक्सट फ्रंटियर इन रिसर्च इवेंट ” विषय पर आयोजित चार दिवसीय वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के दूसरे दिन के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए प्राचार्य सह संरक्षक डॉ खिरोधर प्रसाद यादव ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है. शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को इससे ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने को प्रेरित किया. अतिथियों को स्वागत करते हुए अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के कन्वेनर सह मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के निदेशक डॉ विनोद शर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के द्वारा विकास के गैप्स को भरा जा सकता है. समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है. मानवीय व्यवहारों का मशीनी नकल है, जो हमारे जगह हमारे कमांड पर काम करता है. इससे निष्पक्ष तौर पर न केवल विश्वसनीय परिणामों की प्राप्ति होती है. बल्कि विभिन्न तरह के साइबर अपराध पर नियंत्रण सहित आपदाओं पर नियंत्रण या बचाव हेतु उपाय सुझाती है. संभावित घटनाओं की भविष्यवाणी भी करती है. यह एक कंप्यूटर या मशीन या गैजेट के द्वारा मानवीय व्यवहार का हू- ब – हू नकल होता है, जिसपर भरोसा किया जाता है. इससे लगातार काम लिया जा रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मुख्यतः शिक्षा, स्वास्थ्य, शोध, रक्षा , जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों की जान है. कार्यक्रम को सफल बनाने में आईक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर प्रो पूनम बिन्झा, असिस्टेंट नैक को-ऑर्डिनेटर डॉ अनिता चक्रवर्ती, असिस्टेंट आइक्यूएसी डॉ रूपम कुमारी, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर डॉ कुमार सौरव की भूमिका सराहनीय रही.
एआइ से बनेगा विद्यार्थियों के लिए बेहतर स्मार्ट क्लास : डॉ मनाली राज
मुख्य संसाधन सेवी ग्लोबल फाउंडेशन विलेज, नयी दिल्ली की डॉ मनाली राज ने ए आइ का क्लाइमेट चेंज की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने एआइ के विभिन्न प्रयोगों, नीतियों, पूर्वानुमानित परिणामों, एथिकल इश्यूज आदि के बारे में भी बताया. कहा कि एआइ के द्वारा विद्यार्थियों के लिए बेहतर स्मार्ट क्लास बनाया जा सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एल्गोरिथम के द्वारा योजनाओं को सार्थक बनाया जा सकता है. किसानों की आत्महत्या की प्रवृत्ति को भी रोका जा सकता है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपेक्षित सुधार लाया जा सकता है. ज्योति विद्यापीठ वीमेंस यूनिवर्सिटी जयपुर से जस्टिंदर कौर ने एआइ के बारे में विस्तार से बताया. मंच संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट नैक को-ऑर्डिनेटर डॉ अनीता चक्रवर्ती ने किया. प्रश्नोत्तर का सत्र भी रहा. इसमें पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिये गये. अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप में विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षक सहित रिसर्च स्कॉलर, स्नातकोत्तर एवं स्नातक के विद्यार्थियों ने भी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की.
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