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Jharkhand By Election 2020 : भाजपा का अरोप, दुमका से झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन ने तथ्य छुपाये, हो कार्रवाई

भाजपा ने दुमका से झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने शपथ पत्र के माध्यम से चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी है

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2020 6:45 AM

दुमका : भाजपा ने दुमका से झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन पर शपथ पत्र के माध्यम से चुनाव आयोग को गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए उनका नामांकन रद्द करने की मांग की है. पार्टी ने इसकी शिकायत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मुख्य चुनाव आयुक्त (दिल्ली), दुमका के उपायुक्त और अनुमंडल पदाधिकारी से भी की है.

पार्टी के चुनाव आयोग के संपर्क विभाग के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने गुरुवार को आरोप लगाया श्री सोरेन द्वारा वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में नामांकन के दौरान दिये गये शपथ पत्र और 2020 दुमका उपचुनाव में दिये गये शपथ पत्र में कई असमानताएं हैं. उन्होंने शपथ पत्र में अपनी कार के संबंध में गलत जानकारी दी है. Â बाकी पेज 17 पर

गाड़ी वही, नंबर वही, लेकिन मॉडल और खरीदने का वर्ष भी बदल गया है. इसके अलावा सोने-चांदी और जमीन के मूल्यांकन के संबंध में भी गलत आंकड़े पेश किये हैं. मौके पर मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक भी मौजूद थे.

भाजपा की ओर से दी गयी जानकारी

संपत्ति राज्यसभा चुनाव 2016 दुमका उपचुनाव 2020

1. हुंडई की गाड़ी 8़ 22 लाख रुपये 5़ 04 लाख रुपये

2. पत्नी के पास सोना 3़ 65 किलो, कीमत 34 लाख 79 हजार 49 रुपये 3़ 55 किलो, कीमत 34 लाख 79 हजार 6 सौ 49

3. पत्नी के पास चांदी 11.22 किलो, कीमत 2 लाख 19 हजार 125 रुपये 5 किलो, कीमत दो लाख 19 हजार 125 रुपये

4. गैर कृषि योग्य भूमि बाईपास रोड चास, दामकोदा बरवा, दामकोदा बरवा, दामकोदा बरवा एवं भवानीडीह में बाईपास रोड, चास स्थित जमीन का उल्लेख नहीं

5. इसके अलावा अपनी बंदूक की कीमत को लेकर भी दोनों चुनावों में अलग-अलग जानकारी दी है.

भाजपा चुनाव से पहले हताश हुई : झामुमो

झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन के शपथ पत्र पर भाजपा द्वारा उठाये गये सवाल पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव से पहले ही भाजपा हताश और निराश हो गयी है. उसे अभी से ही हार का डर सताने लगा है. यही वजह है कि वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है. भाजपा को मालूम होना चाहिए कि जब उम्मीदवार का नामांकन वैध है, तब चुनाव के बाद ही इसे अदालत या आयोग में चुनौती दी जा सकती है.

posted by : sameer oraon

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