दुमका : झारखंड सरकार वादे के अनुरूप किसानों को उनकी फसल का ससमय भुगतान नहीं कर पा रही है. धान अधिप्राप्ति का कार्य पूरा हो चुका है, पर भुगतान में लेटलतीफी का आलम यह है कि 17752 किसानों में से 3011 किसानों को उनकी उपज के मूल्य के तौर पर पहले ही सप्ताह में दी जानेवाली रकम प्राप्त नहीं हुई है.
जबकि दूसरी किस्त से 13890 किसान वंचित हैं. समय पर भुगतान न होने से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. इस इलाके में किसानों के पास कोई जमा पूंजी नहीं होती. अपनी फसल को ही बेचकर वे उतनी राशि का इंतजाम करते हैं, जिससे आगे घर-संसार चल सके और दूसरी फसल के लिए खाद-बीज की खरीद कर सकें.
कई किसानों को धान बेचे दो महीने हो गये, पर उन्हें पूरा भुगतान नहीं मिल पाया. किसानों ने बताया कि बाजार में कीमत कम मिलती है. लेकिन सेठ-साहूकार नकद में फसल खरीद लेते हैं. वहां उनका आर्थिक शोषण होता है. पर जरूरत लायक पैसेे तुरंत मिल जाते हैं. सरकार अधिक कीमत पर धान खरीदती है. बोनस भी देती है. लेकिन पैसे का भुगतान समय पर नहीं करती. ऐसे में अधिकांश लोग सरकारी व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर पाते.
इस बार शुरुआत में कुछ किसानों को तेजी से भुगतान हुआ था, तो लगा था कि सरकार का रवैया बदला है और किसानों के प्रति वह उदार हुई है. लेकिन बीतते समय के साथ ढाक के तीन पात वाली ही कहावत चरितार्थ होने लगी है. संताल परगना के किसानों का 91 करोड़ 12 लाख 95 हजार 296 रुपये का भुगतान लंबित है. सबसे अधिक देवघर जिले में 29.6 करोड़ रुपये, उसके बाद 18.68 करोड़ रुपये जामताड़ा में, 17.65 करोड़ रुपये दुमका में तथा 15.77 करोड़ रुपये गोड्डा में भुगतान लंबित है. वहीं पाकुड़ में किसानों का 5.37 करोड़ रुपये व साहिबगंज में 4.04 करोड़ रुपये विभाग के पास अटका हुआ है.