Loading election data...

झारखंड स्थापना दिवस से पहले दुमका के 276 गांवों के किसानों को मिला सिंचाई का तोहफा

15 नवंबर, 2022 को झारखंड का स्थापना दिवस है. इस राज्य ने 22 साल की सफर तय की है. इस 22 साल में राज्य ने कई आयाम प्राप्त किये. इसी के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गत नौ नवंबर, 2022 को दुमका के मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का सीएम ने शिलान्यास कर किसानों के चेहरे पर खुशियां लायी है.

By Samir Ranjan | November 11, 2022 7:46 PM

Jharkhand Foundation Day: झारखंड स्थापना दिवस से एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका के 276 गांवों के किसानों के चेहरे पर खुशी लायी है. नौ नवंबर, 2022 को रानीश्वर के मुरगुनी में मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का सीएम ने शिलान्यास किया. पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी. वहीं, तीन साल में इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस परियोजना पर 1313.25 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

55 हजार एकड़ खेतों में पहुंचेगा पानी

मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के तहत दुमका जिला अंतर्गत मसलिया प्रखंड की 13 पंचायत के 204 गांव तथा रानीश्वर प्रखंड की चार पंचायत के 72 गांवों की कृषि भूमि में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करायी जा सकेगी. इस योजना का निर्माण कार्य पूरा होते ही 55 हजार एकड़ में खेती की जा सकेगी.

Also Read: Jharkhand Foundation Day: आदिवासी संस्कृति से जुड़ा है जामताड़ा के कंचनबेड़ा का रास मेला, जानें इतिहास

एक नजर में मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना

– दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के 204 और रानीश्वर प्रखंड के 72 समेत कुल 276 गांव इस योजना से लाभान्वित होंगे
– इस परियोजना के चालू होने से 22,383 हेक्टेयर कृषि भूमि में पटवन की सुविधा उपलब्ध होगी. इसमें मसलिया प्रखंड की 17066 हेक्टेयर और रानीश्वर प्रखंड की 5217 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि शामिल है
– धान के अतिरिक्त दलहन और तिलहन के साथ रागी, ज्वार -मक्का जैसे फसलों की खेती के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी
– सिद्धेश्वरी नदी पर मुरगुनी गांव के पास एक बराज भी बनेगा, ताकि पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई योग्य भूमि में पटवन के लिए हमेशा पानी उपलब्ध रहे
– अगर कभी भारी वर्षा हो और खेतों को उतनी पानी की जरूरत नहीं है, तो उस पानी को अगल-बगल के  जलाशयों में डाइवर्ट कर भरा जाएगा, ताकि उसका अन्य कार्यों में इस्तेमाल हो सके
– योजनान्तर्गत प्रस्तावित पटवन क्षेत्र में मुख्य रूप धान के अतिरिक्त दलहन (अरहर, उरद, मूंग)
तिलहन (तिल, मूंगफली, अलसी, कुलथी) एवं रागी, जवार, मक्का की खेती भी संभव हो सकेगी
– योजना का कार्य तीन वर्षों में पूरा कराया जाना है. इसके बाद ठेकेदार द्वारा ही योजना का पांच वर्षों के लिए परिचालन, रख-रखाव एवं प्रबंधन करना है.

रिपोर्ट : आनंद/साधन सेन, रानीश्वर, दुमका.

Next Article

Exit mobile version