Hijla Mela 2023: जनजातीय हिजला मेला में दिखा पारंपरिक परिधानों का जलवा, देखें तस्वीरें
उपराजधानी दुमका में मयुराक्षी नदी के तट पर तथा हिजला पहाड़ी के समीप राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव चल रहा है. शुक्रवार तक चलनेवाले इस जनजातीय हिजला मेला में बुधवार की रात ट्राइबल फैशन शो का आयोजन किया गया. समारोह में पारंपरिक परिधानों में अलग-अलग आयुवर्ग के प्रतिभागियों ने भाग लिया.
दुमका, आनंद जायसवाल : राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव चल रहा है. शुक्रवार तक चलनेवाले इस जनजातीय हिजला मेला में बुधवार की रात ट्राइबल फैशन शो का आयोजन किया गया. देर रात तक चले इस कार्यक्रम में जूनियर गर्ल्स में रूथरोज बास्की विनर व आशा मैरी मरांडी रनर रहीं. जबकि नौ साल तक के गर्ल्स कैटेगरी में सोनिम इपील सोरेन विनर व अमायरा किस्कू रनर रहीं.
इसी आयुवर्ग में ब्वॉयज कैटेगरी में अप्पू हेंब्रम विनर व दीपांशु पावरिया रनर रहे. इस दौरान अतिथि के रूप में एसडीओ कौशल कुमार, डीएसपी विजय कुमार, एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी, विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता अमिताभ बच्चन सोरेन, डीपीआरओ अंजना भारती आदि मौजूद रहे.
बता दें कि 1890 में ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर आर कास्टेयर्स ने हिजला मेला की शुरुआत की थी. तब संताल परगना एक जिला हुआ करता था और दुमका उसका मुख्यालय था. दरअसल 1855 में हुए संताल हूल के बाद कास्टेयर्स ने संतालों से अपनी दूरी मिटाने तथा उनका विश्वास हासिल करने के मकसद से इस जनजातीय मेले की शुरुआत की थी.
दुमका में शहर से चार किमी की दूरी पर मयुराक्षी नदी के तट व हिजला पहाड़ी के पास 133 साल पहले से सप्ताहव्यापी मेला लगता आया है. क्षेत्र का यह सबसे बड़ा मेला है. इस वर्ष 24 फरवरी से मेले की शुरूआत हुई है. मेला अब महोत्सव का रूप भी ले चुका है.
दरअसल यह मेला जनजातीय समाज के सांस्कृतिक संकुल की तरह है. जिसमें सिंगा-सकवा, मांदर व मदानभेरी जैसे परंपरागत वाद्ययंत्र की गूंज तो सुनने को मिलती ही है, झारखंडी लोक संस्कृति के अलावा अन्य प्रांतों के कलाकार भी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करने पहुंचते हैं. बदलते समय के साथ इस मेले को भव्यता प्रदान करने की कोशिशें लगातार होती रही हैं.
कोरोना की वजह से दो साल यह मेला आयोजित न हो सका था. पर इस बार मेला क्षेत्र में कई आधारभूत संरचनायें विकसित हो गयी हैं, जो मेले के उत्साह को दाेगुणा करने में सहायक साबित होगा.