तसर सिल्क को लेकर दुमका में फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में जुटीं ग्रामीण महिलाएं, बन रही हैं आत्मनिर्भर

Jharkhand News, Dumka News : झारखंड का दुमका जिला अगर तसर रेशम उत्पादन में देश का अग्रणी जिला बन चुका है, तो इसी जिले में मयूराक्षी ब्रांड की रेशमी साड़ियां और वस्त्रों के उत्पादन का केंद्र बड़ा आकार ले रहा है. तसर रेशम उत्पादन में कोकुन तैयार करने से लेकर उससे धागा निकालने एवं धागों से कपड़े बनाने के बाद उसे वस्त्र का रूप देने यानी तसर सिल्क को फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. साथ ही इस इलाके को सिल्क सिटी के रूप में विशेष पहचान दिलाने को अग्रसर हैं. वह दिन दूर नहीं जब दुमका को सिल्क सिटी के रूप में पहचान देने में यहां की बुनकर महिलाएं सिरमौर बनेंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2021 7:07 PM

Jharkhand News, Dumka News, दुमका (आनंद जायसवाल) : झारखंड का दुमका जिला अगर तसर रेशम उत्पादन में देश का अग्रणी जिला बन चुका है, तो इसी जिले में मयूराक्षी ब्रांड की रेशमी साड़ियां और वस्त्रों के उत्पादन का केंद्र बड़ा आकार ले रहा है. तसर रेशम उत्पादन में कोकुन तैयार करने से लेकर उससे धागा निकालने एवं धागों से कपड़े बनाने के बाद उसे वस्त्र का रूप देने यानी तसर सिल्क को फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. साथ ही इस इलाके को सिल्क सिटी के रूप में विशेष पहचान दिलाने को अग्रसर हैं. वह दिन दूर नहीं जब दुमका को सिल्क सिटी के रूप में पहचान देने में यहां की बुनकर महिलाएं सिरमौर बनेंगी.

सरकार के प्रयास से राज्य को रेशम के क्षेत्र में मिल रही खोई पहचान

संताल परगना में तसर कोकुन का उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद बिहार के भागलपुर जिला को सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है, जबकि दुमका से ही कच्चा माल लेकर यह ख्याति भागलपुर को मिली है. इसका मुख्य कारण यह रहा कि यहां के लोग केवल तसर कोकुन उत्पादन से जुड़े थे. मूल्यवर्द्धक कार्य (वैल्यू एडेड) नहीं हो रहा था, जबकि कोकुन उत्पादन के अलावा भी इस क्षेत्र में धागाकरण, वस्त्र बुनाई और डाईंग प्रिंटिंग कर और अधिक रोजगार एवं आय की प्राप्ति की जा सकती थी. इसको देखते हुए सहायक उद्योग निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने प्रोजेक्ट तैयार किया, ताकि रेशम के क्षेत्र में दुमका को अलग पहचान मिले तथा यहां की गरीब महिलाओं को नियमित आय से जोड़कर स्वावलंबी बनाया जा सके. इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए चुना गया. शुरू में लगभग 400 महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क उत्पादन के विभिन्न कार्यों का अलग-अलग प्रशिक्षण दिया गया. आज लगभग 500 महिलाओं को विभिन्न माध्यमों से धागाकरण, बुनाई, हस्तकला इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जबकि पूरे झारखंड में एक लाख 65 हजार परिवार रेशम उत्पादन से जुड़े हैं.

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हर संभव सहायता करेगी सरकार

दुमका प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मयूराक्षी सिल्क उत्पाद का अवलोकन किया था. मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि सिल्क के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए हर संभव संसाधन सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाये, जिससे यहां के लोगों को अधिक रोजगार मिले.

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रूबी जैसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का दे रहा अवसर

ऐसी ही बुनकर महिलाओं में एक नाम है रूबी कुमारी का. 29 साल की रूबी दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को चुनौती के रूप में लेकर उसे ऊर्जा में बदल दिया है. वर्ष 1991 में जन्मी रूबी बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग है. 2010 में मैट्रिक एवं 2012 में इंटर तक की पढ़ाई गर्ल्स हाई स्कूल से करने के बाद उसे पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. परिवार में एक विधवा बहन एवं बुजुर्ग पिता हैं. पिता नाई का काम करते थे, पर वे अब शारीरिक रूप से इतने स्वस्थ नहीं हैं कि कुछ काम कर सके. इधर, कैंसर ने मां को असमय छीन लिया. इन सब दुखों के पहाड़ में रूबी घबरायी नहीं. सिलाई- कटाई शुरू किया, पर उससे भी परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में हस्तकरघा, रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय, झारखंड एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित मयूराक्षी सिल्क के उत्पादन व प्रशिक्षण केंद्र से वह जुड़ गयी.

6 महीने के कुशल प्रशिक्षण के बाद उसने बुनाई के कार्य में कदम आगे बढ़ाया और समूह बनाकर मयूराक्षी सिल्क के वस्त्रों का उत्पादन करने लगी. इन्हें इस केंद्र द्वारा एक स्पिनिंग मशीन भी दिया गया है, जिसके जरिये वे घर में खाली समय में अहिंसा सिल्क धागा कातने का कार्य करती है. अपने दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत वह अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ बुनाई में इतनी दक्ष हो गयी है कि धागाकरण व वस्त्रों के बुनाई से बिना सिकन के खुशहाल जीवन जी रही है तथा परिवार की जरूरतों को पूरा कर रही है. समाज में उसकी पहचान एक प्रगतिशील युवती के रूप में है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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