12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News: संताल आदिवासी इन दिनों मना रहे बेलबोरोन पूजा, जानें इसका महत्व

संताल आदिवासी इन दिनों बेलबोरोन पूजा में व्यस्त है. इस पूजा से पहले गुरु-शिष्य गांव में आखड़ा बांधते हैं. वहीं, दशांय नृत्य और गीत के माध्यम से ठकुर (इष्ट देव) और ठकरन (इष्ट देवी) का गुणगान किया जाता है.

Jharkhand News (आनंद जायसवाल, दुमका) : संताल आदिवासी इन दिनों बेलबोरोन पूजा हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं. बेलबोरोन पूजा के एक महीने पहले से गुरु-शिष्य गांव में आखड़ा बांधते हैं, जहां गुरु शिष्यों को मंत्र की सिद्धि, परंपरागत चिकित्सा विधि आदि का ज्ञान देते हैं. इसी दौरान गुरु-शिष्य पहाड़ सहित कई जगहों पर जड़ी-बूटी के खोज में जाते हैं, जहां वे जड़ी-बूटी की पहचान और उसका उपयोग किन बीमारियों में किया जाता है, इससे अवगत कराते हैं.

Undefined
Jharkhand news: संताल आदिवासी इन दिनों मना रहे बेलबोरोन पूजा, जानें इसका महत्व 2

बेलबोरोन पूजा के अवसर पर अराध्य देवों को मुर्गे की बलि दी जाती है. इस पूजा के बाद ग्रामीण अपने गांव में दशांय नृत्य और गीत करते हैं और उसके बाद चार दिन लगातार गुरु-शिष्य गुरु बोंगाओ (गुरु देवता) को लेकर गांव-गांव घुमाते हैं और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम ठकुर (इष्ट देव) और ठकरन (इष्ट देवी) का गुणगान गाते हैं और साथ- साथ भक्तों के घर में सुख- शांति, धन आदि के लिये पूजा करते हैं. इसके उपलक्ष्य में इनलोगों को दान स्वरूप मकई, बाजरा या रुपये-पैसे मिलते हैं.

दशांय नृत्य में कई पुरुष महिला का पोशाक पहनते हैं या उनकी तरह व्यवहार करते हैं. इसका मुख्य कारण है कि वे सभी ठकरन (इष्ट देवी) का सपाप (आभूषण और वस्त्र) को प्रतिकार स्वरूप से पहनते हैं. बेलबोरोन पूजा के अंतिम दिन अपने गांव में दशांय नृत्य और गीत करते हैं और प्रसाद रूप जो अनाज दान में मिले हैं, उसका वो खिचड़ी बना कर खाते हैं.

Also Read: IRCTC/Indian Railways News: दुमका- हावड़ा स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन की मिली सौगात, जानें इसकी टाइम टेबल

इस तरह संतालों का बेलबोरोन पूजा गुरु-शिष्य का अटूट संबंध का पूजा है. जो हमें पाप नहीं करने, धार्मिक बने रहने, समाज को रोगमुक्त बनाये रखने, परंपरागत जड़ी-बूटी चिकित्सा विधि को जीवित रखने,परंपरागत नाच गाने को बचाये रखने, संस्कृति,धर्म और प्रकृति को बचाए रखने और खुश रहने का संदेश देता है.

क्यों मनाते हैं बेलबोरोन पूजा

बेलबोरोन पूजा संताल आदिवासियों द्वारा मनाये जानेवाला पूजा है. संतालों के जोम सिम विनती के अनुसार, जब धरती में मनुष्यों द्वारा पाप बहुत बढ़ गया था, तो परम सत्ता (सृष्टिकर्ता) ठकुर ने 12 दिन और 12 रात सेगेल दाह (अग्नि वर्षा) धरती के सिंगबीर और मानबीर जगहों में गिराते रहे. इसके साथ-साथ पुहह (जीवाणु/वायरस) भी छोड़ते रहे. वो जब मनुष्य जाति को खत्म करने का निर्णय ले चुके होते हैं, तब यह बात इष्ट देवी ठकरन को पता चलता है, तो ठकुर से कहा जाता है कि ये सभी हमारे ही बच्चे हैं. इन सभी को नाश नहीं करें. ऐसा करने से हमें ही हानि होगी. इसके लिये मराङ बुरु से बात करने और हम दोनों मिलकर मनुष्यों को धर्म के रास्ते पुनः वापस लाने का प्रयास करेंगे.

उस समय मराङ बुरु देवता पृथ्वी लोक में ही रहते थे. इसके लिए ठकरन ने मराङ बुरु को मोनचोपुरी (पृथ्वी लोक) से शिरमापुरी (देवलोक) बुलाया और कहा कि मनुष्य पाप के रास्ते चल पड़ा है जिस कारण ठकुर इन मानव जाति को नाश करने वाले हैं. ठकुर का संदेश है कि हम दोनों (ठकुर और ठकरन) का सपाप (आभूषण और वस्त्र) मोनचोपुरी (पृथ्वी लोक) ले जाये और मनुष्य दशांय नृत्य और गीत के माध्यम हमारा गुणगान करे.

Also Read: गोड्डा के पथरगामा में एक ही परिवार के 3 बच्चों की तालाब में डूबने से हुई मौत, होपना टोले में पसरा मातम

मेरा सुनुम-सिंदुर (तेल-सिंदुर) ले जाये और गांव-गांव घुमाये. मेरा सपाप (आभूषण और वस्त्र) साड़ी, शंका (for hand), काजल आदि और ठकुर का सपाप (आभूषण और वस्त्र) लिपुर(For leg), पैगोन(small bell), मोर पंख आदि ले जायें. कुछ लोग मेरा सपाप (आभूषण और वस्त्र) पहने और कुछ लोग ठकुर का सपाप (आभूषण और वस्त्र) पहने और दशांय नृत्य और गीत के माध्यम से हमारा गुणगान करें. ऐसा करने पर ठकुर खुश हो जायेंगे.

उन्हें विश्वास हो जायेगा कि मनुष्य पाप छोड़ धर्म के रास्ते चल पड़ा है, तब वे मनुष्य जाति का नाश नहीं करेंगे. ठकरन ने लिटह (मराङ बुरु) से यह भी कहा कि वे 12 गुरु बोंगाओ (गुरु देवताओं) को भी जाने के लिए कहेंगे जो अपने-अपने कार्य क्षेत्र में निपुण हैं. जैसे धोरोम गुरु बोंगा- धर्म और धन के देवता, कमरूगुरु बोंगा- रोग मुक्ति के देवता, भुवग गुरु बोंगा- नृत्य, संगीत के देवता आदि. इन सभी को घर-घर घुमायें. इससे ठकुर के माध्यम से मनुष्य जाति को खत्म करने के लिए छोड़े गए पुहह (जीवाणु/वायरस) के माध्यम से जो बीमारी फैली है वह इन गुरु बोगाओ (गुरु देवताओ) के माध्यम से खत्म हो जायेगा.

इन गुरु बोगाओं (गुरु देवताओं) के माध्यम से मनुष्य बीमारियों का इलाज, दवा, जड़ी-बूटी, धर्म, तंत्र -मंत्र आदि सिखेगा. मोनचोपुरी (पृथ्वीलोक) में मनुष्य गुरु बोगाओं से गुरु-शिष्य का संबंध स्थापित कर हमारा गुणगान करें. आगे ठकरन ने कहा हम दशांय चांदु (दशांय संताली महीना) के छठे दिन मोनचोपुरी (पृथ्वीलोक) में गुरु बोगाओं (गुरु देवताओं) के साथ अवतरित होगी.

Also Read: साहिबगंज से गुजरने वाली 5 पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन अब भी है बंद, दुर्गापूजा में यात्रियों की बढ़ी परेशानी

इस बेलबोरोन पूजा में धोरोम गुरु बोंगा, कमरू गुरु बोंगा, भुवग गुरु बोंगा, कांशा गुरु बोंगा चेमेय गुरु बोंगा, सिद्ध गुरुबोंगा, सिदो गुरु बोंगा, रोहोड़ गुरु बोंगा, गांडु गुरु बोंगा, भाइरोगुरु बोंगा, नरसिं गुरु बोंगा व भेंडरा गुरु बोंगा की पूजा करते हैं. बेलबोरोन पूजा में गुरु बोंगाओं के नाम पर पूजा किया जाता है.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें