लोकसभा चुनाव : झामुमो का गढ़ रही है दुमका सीट, क्या इस बार कल्पना सोरेन बढ़ायेंगी रोमांच?
दुमका सीट पर झामुमो की जीत का पहिया लगातार घूमता रहा है. वर्ष 2002 के मध्यावधि चुनाव से 2014 तक शिबू सोरेन ने इस सीट पर लगातार चार बार जीत हासिल की. दुमका सीट से जीत-हार की राजनीति का गणित बदलता रहा है.
दुमका: दुमका की सीट झारखंड की राजनीति व बड़े नेताओं की साख से जुड़ी रही है. यह झारखंड की राजनीति का रुख बदलनेवाली सीट रही है. 80 के दशक में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने झामुमो का खूंटा संताल परगना में इसी सीट के सहारे गाड़ा था. यहां से शिबू सोरेन ने आठ बार चुनाव जीत कर इस सीट को झामुमो का अभेद्य किला बनाया था. वर्ष 1989, 1991 और 1996 के तीन चुनाव में शिबू सोरेन की लगातार जीत हुई.
इस सीट पर झामुमो की जीत का पहिया लगातार घूमता रहा है. वर्ष 2002 के मध्यावधि चुनाव से 2014 तक शिबू सोरेन ने इस सीट पर लगातार चार बार जीत हासिल की. दुमका सीट से जीत-हार की राजनीति का गणित बदलता रहा है. 1998-99 में पहली बार भाजपा ने बाबूलाल मरांडी के सहारे इस सीट पर जीत का झंडा गाड़ा और शिबू सोरेन को शिकस्त देनेवाले बाबूलाल भाजपा का बड़ा चेहरा बन कर उभरे. तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वन्य व पर्यावरण राज्यमंत्री बनाये गये. भाजपा के लिए यह जीत संताल परगना में पैर पसारने की जगह तैयार करनेवाली थी.
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दुमका सीट पर झामुमो का दावा स्वाभविक :
इंडिया गठबंधन में तस्वीर एकदम साफ है. इस सीट पर झामुमो का स्वाभाविक दावा है. झामुमो इस सीट पर शिबू सोरेन को उतारता रहा है. इस बार परिस्थिति बदलने के संकेत मिल रहे हैं. शिबू सोरेन की अस्वस्थता को देखते हुए नये चेहरे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने की चर्चा क्षेत्र में है. कल्पना सोरेन इस सीट से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर सकती हैं. बहरहाल झामुमो ने इसको लेकर कोई संकेत फिलहाल नहीं दिये हैं, लेकिन दुमका का चुनावी रोमांच बढ़ गया है.
भाजपा के लिए भी यह अहम सीट :
आनेवाले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और झामुमो की राजनीतिक ताकत इस सीट से तौली जायेगी. पिछले चुनाव में झामुमो के दिग्गज नेता शिबू सोरेन को मात देकर भाजपा के सुनील सोरेन चुनाव जीते.
सुनील सोरेन के सामने पार्टी के अंदर व चुनावी जमीन पर कई चुनौतियां हैं. सुनील सोरेन की सक्रियता को लेकर पार्टी के अंदर सवाल उठते रहे हैं. कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के नाराज होने की बात भी कही जा रही है. ऐसे में एक बार फिर दावेदारी को लेकर सुनील सोरेन को मशक्कत करनी पड़ सकती है. वहीं रघुवर सरकार में मंत्री रहीं लुइस मरांडी भी इस सीट से दावेदार बतायी जाती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए लुइस मरांडी ने अपनी ताकत लगायी थी. इस सीट पर जिलाध्यक्ष पारितोष सोरेन और जामा विधानसभा से चुनाव लड़नेवाले सुरेश मुर्मू भी समय-समय पर अपनी दावेदारी करते रहे हैं.
2014 लोकसभा चुनाव
शिबू सोरेन 335815
सुनील सोरेन 296785
2019 लोकसभा चुनाव
सुनील सोरेन 484923
शिबू सोरेन 437333
छह सीटों में चार पर झामुमो का कब्जा
दुमका संसदीय सीट में छह विधानसभा सीटें हैं. इसमें शिकारीपाड़ा, नाला, दुमका और जामा में झामुमो का कब्जा है. वहीं जामताड़ा कांग्रेस के पास है और सारठ से भाजपा जीत कर आयी है. दुमका संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर झामुमो का लंबे समय से बेहतर प्रदर्शन रहा है. आने वाले चुनाव में भी भाजपा के सामने ये चुनौतियां होंगी