मसानजोर डैम के पनबिजली केंद्र चालू कर चार मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू किया गया है. पन बिजली केंद्र से उत्पादित बिजली बंगाल को आपूर्ति की जा रही है, यहां पनबिजली केंद्र पर दो टारबाईन से चार मेगावाट बिजली उत्पादन करने के लिए 600 क्यूसेक पानी निकासी की जा रही है. डैम से 600 क्यूसेक पानी निकासी किये जाने से डैम के नीचे मयुराक्षी नदी का जलश्रोत बढ़ गया है. मयुराक्षी नदी के झारखंड सीमा के अंतिम छोर पर पानी के साथ बालू भी पानी में बह कर बंगाल सीमा पर पहुंच रहा है. बंगाल के बालू माफिया तीन चार पोकलेन मशीन लगाकर नदी में ही बड़ा-बड़ा गड्ढा खोद कर रखा है. नदी में पानी के साथ बालू झारखंड सीमा से बंगाल सीमा पर पहुंचते ही बंगाल के बालू माफिया नदी में पोकलेन से बालू उठाव कर ट्रकों पर लोड कर बेच कर करोड़ों का आमदनी कर रहा है. बंगाल क्षेत्र में बालू का लेयर खत्म हो चुका है. मयुराक्षी नदी में झारखंड क्षेत्र से पानी के साथ बालू बह कर बंगाल पहुंचने पर यहां के बालू ही बंगाल के बालू माफिया बेचकर मालामाल हो रहा है. यह सिलसिला लंबे समय से ही जारी है.
झारखंड के बालू घाटों आठ वर्ष से उठाव पर लगी है रोक
जानकारी के अनुसार आठ वर्ष से झारखंड सरकार की ओर से मयुराक्षी नदी के बालू घाटों का बंदोबस्ती नहीं होने से यहां के नदी से वैध तरीके से बालू उठाव कर रोक लगी है. सात बालूघाटों की बंदोबस्ती के लिए निविदा निकाला गया है. पर अभी तक चालू नहीं हो सका है. इसी प्रखंड क्षेत्र के सिद्धेश्वरी नदी में भी सात छोटे बालूघाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू की गयी है. पर छोटे बालूघाटों से बालू उठाव भी शुरू नहीं हो सका है. क्षेत्र में बालू की भरमार रहते हुए भी बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं होने से बालू के अभाव में हाहाकार मचा हुआ है. झारखंड के बालू से बंगाल के बालू माफिया मालामाल हो रहे हैं. बंगाल सीमा के केंदुली से खटंगा तक बालू घाटों से प्रतिदिन सैंकड़ों ट्रक बालू उठाव हो रहा है.
जलस्तर घटने पर नहर में नहीं पहुंचता है पानी
सोमवार को डैम का जलस्तर 373.40 फीट पर था. झारखंड के दुमका व रानीश्वर प्रखंड क्षेत्र के लिए डैम से निकाले गये मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर का गेट का अंतिम जलस्तर 360 फीट पर है. जलस्तर 360 फीट पर पहुंचने से नहर के गेट से पानी निकासी बंद हो जायेगा. हालांकि डैम का जलस्तर 365 पर आ जाने से नहर में पानी का बहाव कम हो जाता है. इन दिनों मयुराक्षी बायांतट मुख्य नहर के सिंचित इलाके के किसानों ने बड़े पैमाने पर गरमा धान की खेती की है. गरमा धान की खेती के लिए सिंचाई नहर के पानी पर ही निर्भर करता है.