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झारखंड के मजदूरों के लिए खुशखबरी, केंदु पत्ता के दाम में हुई बढ़ोतरी, अब इतनी मिलेगी कीमत

संताल परगना से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए केंदु पत्ता के दाम में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है. ये निर्णय केन्दू पत्ती सलाहकार समिति के साथ हुई बैठक में हुआ.

दुमका : संताल परगना के प्रमंडलीय आयुक्त लालचंद डाडेल की अध्यक्षता में वर्ष 2025 मौसम के लिए केंदु पत्ती का संग्रहण दर निर्धारण हेतु केन्दू पत्ती सलाहकार समिति की बैठक बुधवार को हुई. वर्ष-2024 मौसम के लिए संताल परगना प्रमंडल क्षेत्र में हुई बैठक में केंदु पत्ती के संग्रहण दर निर्धारण हेतु राज्य सरकार को दिये गये परामर्श के बिंदु पर विस्तार से चर्चा की गयी. गत वर्ष राज्य सरकार द्वारा केंदु पत्ती संग्रहण दर रैयती और वन भूमि से 1750 रुपये प्रति मानक बोरा स्वीकृत किया गया था. बैठक में उपस्थित सदस्य फ्रांसिस हांसदा द्वारा संताल परगना से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए पिछले साल के निर्धारित दर से बढ़ा कर 2000 रुपये तय करने का प्रस्ताव दिया गया. ऐसे में समिति ने वर्तमान में महंगाई दर में हुई वृद्धि और जनवरी 2025 में संभावित वृद्धि को आधार मानते हुए श्रमिकों के हित में 10 प्रतिशत वृद्धि करने पर सहमति जतायी और सर्वसम्मति से 1925 रुपये प्रति मानक बोरा दर निर्धारण हेतु प्रस्ताव पारित किया.

कौन कौन लोग बैठक में थे मौजूद

बैठक में आयुक्त लालचंद डाडेल के अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक दुमका, संयोजक-सह-सचिव के तौर पर लघु वन पदार्थ परियोजना अंचल-देवघर के महा प्रबंधक, आयुक्त के सचिव अमित कुमार, लघु वन पदार्थ परियोजना प्रमंडल के संताल परगना प्रमंडल के प्रबंधक, केंदु पत्ता व्यापारी प्रति निधि लक्ष्मण प्रसाद भगत, बीड़ी निर्माता के प्रतिनिधि राम बाबू त्रि पाठी, केन्दू पत्ती उगाने वाले अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधि अनिल हांसदा और फ्रांसिस हांसदा, केंदु पत्ती उगाने वाले अनुसूचित जाति के प्रतिनिधि शंकर रविदास, केन्दू पत्ती उगाने वाले पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि प्रदीप कुमार दत्ता, केन्दू पत्ती उगाने वाले सामान्य जाति के प्रतिनिधि अनिरुद्ध प्रसाद साह और गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि समीर कुमार रक्षित तथा आयुक्त कार्यालय के सहायक प्रशाखा पदाधिकारी सौरभ कुमार तिवारी आदि उपस्थित थे.

दर वृद्धि पलायन रोकने में होगी सहायक

एक मानक बोरा में 1000 पोला (कुल- 50000 पत्ता ) रहता है. एक अनुमान के मुताबिक प्रति दिन प्रत्येक प्राथमिक संग्रहणकर्त्ता चार घंटे की मजदूरी करके लगभग 250 (दो सौ पचास) पोला केंदू पत्ती का संग्रहण कर लेता है. प्रत्येक प्राथमिक संग्रहणकर्त्ता को चार घंटे काम करने पर लगभग 481.25 रुपये की मजदूरी प्राप्त हो जाती है, जो सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी से काफी अधिक है. ऐसे में जब उसे इस काम से अच्छी आमदनी होगी, तो यह काम पलायन रोकने में भी सहायक साबित होगा.

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