बासुकिनाथ में मधुश्रावणी व्रत पूजा शुरू, नवविवाहिताएं 14 दिनों तक करेंगी शिव, पार्वती व नागदेवता की पूजा

मधुश्रावणी में नवविवाहिता की दो सप्ताह तक अपने मायके में ही रहकर माता गौरी व भगवान शिव की पूजा करने की अद्भुत परंपरा रही है. इसमें माता गौरी की कथा सुनायी जाती है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 25, 2024 8:25 PM

बासुकिनाथ.

सावन मास पंचमी तिथि गुरुवार से मिथिलावासियों द्वारा मनायी जाने वाली मधुश्रावणी पूजा शुरू हुई. इस पर्व में नवविवाहिता अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती हैं. मधुश्रावणी पूजा में नवविवाहिता पूरे 14 दिनों तक नियम संयम से रहकर भगवान शिव, माता गौरी व नाग-नागिन की पूजा करती हैं. धान का लावा, दूध से मेवा-मिष्ठान्न का भोग लगाया जाता है. मधुश्रावणी में नवविवाहिता की दो सप्ताह तक अपने मायके में ही रहकर माता गौरी व भगवान शिव की पूजा करने की अद्भुत परंपरा रही है. इसमें माता गौरी की कथा सुनायी जाती है. नवविवाहिताएं बिना नमक के भोजन करती हैं. मधुश्रावणी पर्व जीवन में सिर्फ एक बार शादी के बाद पहले सावन मास में मनाया जाता है. नवविवाहिता द्वारा पूजा अनुष्ठान में शामिल होते हुए कथा का श्रवण उपवास में रहकर की जाती है. इसी क्रम में बासुकिनाथ में नवविवाहिता अदिति झा व रौशन पत्रलेख ने विधिवत माता गौरी की पूजा-अर्चना की. इस दौरान नवविवाहिताओं ने श्रद्धा भाव से पहले गौरी पूजा, फिर विषहर पूजन कर दूध, लावा आदि का प्रसाद चढ़ायी. साथ ही इस अवसर पर प्रतिदिन अलग-अलग कथा होती है, जिसका वाचन महिला पंडित ही करती हैं. कथा के समय नवविवाहिता सहित घर और पड़ोस की अन्य महिलाएं भी श्रद्धा भाव के साथ कथा सुनती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और उनके सुहाग की रक्षा करती हैं.

सोलह श्रृंगार करके फूल तोड़ने जाती हैं नवविवाहिताएं :

नवविवाहिताएं सोलह श्रृंगार करके शाम में फूल और पत्ते तोड़ने जाती हैं. इस त्योहार में प्रकृति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है. मिट्टी और हरियाली से जुड़ी इस पूजा के पीछे पति की लंबी आयु की कामना होती है. इस पर्व के दौरान मैथिली लोकगीत की आवाज हर नवविवाहिता के घरों से सुनायी देती है. हर शाम महिलाएं आरती करती हैं और गीत गाती हैं. यह त्योहार नव विवाहिताएं सज-धज कर मनाती हैं. मधुश्रावणी पूजा के अंतिम दिन नवविवाहिता के ससुराल से कई तरह के मिष्ठान और पूजा की सामग्री उसके परिजन लेकर पहुंचते हैं. पूजा के बाद उस मिष्ठान्न को सुहागिन महिलाओं के बीच वितरण करते हुए एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर वैवाहिक और मंगलमय जीवन की कामना कर सदा सुहागन बने रहने का आशीर्वाद लेती हैं. सफल जीवन का आशीर्वाद देते हैं.

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