मतदान संपन्न होते ही धान कटनी के लिए मजदूरों का पलायन शुरू

ताल परगना के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की समस्या एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन गयी है. विधानसभा चुनाव के दौरान चर्चा में रहा यह विषय चुनाव खत्म होते ही फिर हाशिए पर चला गया.

By Prabhat Khabar News Desk | November 22, 2024 5:00 PM

रानीश्वर. संताल परगना के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की समस्या एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन गयी है. विधानसभा चुनाव के दौरान चर्चा में रहा यह विषय चुनाव खत्म होते ही फिर हाशिए पर चला गया. मजदूरों का बड़े पैमाने पर अपने परिवार सहित पलायन करना न केवल उनकी आजीविका की जरूरतों को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन के लिए एक स्थायी चुनौती भी बन गया है. संताल परगना के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में मजदूर धान कटाई के काम के लिए पश्चिम बंगाल के वीरभूम, वर्धमान और मुर्शिदाबाद जैसे जिलों का रुख कर रहे हैं. यात्री बसों, ट्रेनों, टेंपो और मालवाहक वाहनों में जत्थों के रूप में पलायन करते मजदूरों की कहानी हर साल दोहराई जाती है, जिन किसानों के पास थोड़ी-बहुत जमीन है, वे अपनी फसल कटाई के बाद पलायन करते हैं. धान कटाई के इस मौसम में मजदूर अपने बच्चों को भी साथ ले जाते हैं, जिससे स्कूलों और आंगनबाड़ियों में बच्चों की उपस्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव ने मजदूरों के लिए पलायन को एक परंपरा बना दिया है. खेती के मौसमी कार्यों के लिए मजदूर साल में आठ से दस बार पलायन करते हैं. खरीफ और गरमा धान की रोपाई और कटाई, आलू की खेती और अन्य मौसमी कार्य इनके प्रमुख कारण हैं. यह प्रवृत्ति न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और सामाजिक संरचना को भी बाधित करती है. पलायन को रोकना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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