ठंड में सूख चुकी मोतीहारी नदी, सिंचाई संकट गहराया
नदी का सीना चीरकर पटवन के लिए पानी की जुगाड़ कर रहे किसान
सरैयाहाट. दशकों से किसानों के लिए वरदान साबित होनेवाली मोतीहारा नदी इस बार की गर्मी पड़ने से पहले सूख गयी है. इससे तटवर्ती गांवों के किसानों के सामने पानी पटवन की समस्या खड़ी हो गयी है. पशुपालक भी परेशान हैं. आनेवाले समय के लिए जबरदस्त जल संकट का संकेत है. पानी की समस्या से जूझ रहे किसान पहले नदी में मोटरपंप लगाकर खेतों की सिंचाई कर लिया करते थे. अब सभी खेतों में बोई गयी गेहूं, हरी सब्जियां आदि बचाने के लिए बैचेन हैं. तटवर्ती इलाके में नदी के सिवाय सिंचाई का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. मोतिहारा नदी पूरी तरह से जलविहीन हो चुकी है. पानी के अभाव में किसानों की फसल बर्बाद हो जायेगी. यह सोचकर किसान चिंतित हैं. पानी के जगह नदी में केवल बालू नजर आता है. पानी का बहाव नहीं हो रहा है. किसान नदी में छोटे-मोटे डोभा व नाला बनाकर पानी का जुगाड कर अपने अपने फसलों की सिंचाई कर रहे हैं. सरैयाहाट व जरमुंडी प्रखंड के तटवर्ती गांव चंद्रा, ढोलपहरी, चिचहरा, फुलजोरी, अमघट्टा, दलोहरी, कपड़जोरा, खुद डुमरिया, भगवानपुर, जियाजोर, पतसर, पहरीडीह, ठाडीपाथर, अम्बा, गोडिंबा, खरना, बेलीढाब, बरकुंडी, जयनगरा समेत दर्जन गांव के लोग निकट निवास करते हैं. इनके पूर्वज पानी की समस्या नहीं हो. यही सोचकर नदी किनारे अपना गांव बसा लिये. किसान जहां नदी के पानी से खेतों की सिंचाई करते थे. वहीं जलस्तर नीचे गिर जाने से किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गयी है. गिरता जलस्तर क्षेत्र में आनेवाले दिनों में बड़ी समस्या बनती जा रही है. क्या कहते हैं किसान नदी किनारे काफी मात्र में रबी फसल लगायी है. कोई फसल अभी तैयार नहीं हुआ है. नदी सूख जाने से सिचाई में कठिनाई हो रही है. प्रशासन पहल करे. मूडल राय अभी से तालाब जवाब दे चूके हैं, मोतिहारा नदी ही पटवन का एकमात्र सहारा रहती है. समय से पहले नदी भी सुख गयी है. सिंचाई की समस्या हो गयी है. बसंत कुमार यादव मोतिहारा नदी सूख जाने से किसानों के साथ जानवरों को भी पानी की दिक्कत होने लगी है. कुदाल से लगातार बालू को हटाना पड़ता है. संजय कुमार किसानों के खेतों तक कैसे बिजली पानी पहुंचे. इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसे में कैसे किसान समृद्ध होंगे. सीरिज चेकडैम बनाने की जरूरत है. दीपक कुमार
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