हॉस्टल में छात्रों के साथ मारपीट की जांच के लिए 12 अगस्त को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम पहुंचेगी पाकुड़
आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने कहा- दुमका में आदिवासियों से संबंधित विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं की स्थिति अत्यन्त लचर, कल्याण छात्रावास में लड़कियां खुले में स्नान को मजबूर हैं.
दुमका. पाकुड़ जिला में 26 जुलाई को केकेएम कॉलेज के आदिवासी हॉस्टल में पुलिसकर्मियों द्वारा छात्रों के साथ मारपीट की घटना को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान लिया था और झारखंड के डीजीपी, मुख्य सचिव समेत पाकुड़ के डीसी-एसपी से रिपोर्ट तलब की थी. आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने दुमका परिसदन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जानकारी दी कि इन लोगों द्वारा समय रिपोर्ट तो दे दी गयी. पर छात्रों के साथ किसने मारपीट की, इसपर तथ्य नहीं दिया गया, जिसे आयोग ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने बताया कि 12 अगस्त को आयोग की तीन सदस्यीय टीम पाकुड़ पहुंचेगी और अपने स्तर पर पूरे मामले की जांच करेगी. इस टीम में आयोग के तीन सदस्य डॉ आशा लकड़ा, निरुपम चाकमा और जाटोतु हुसैन शामिल होंगे. आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा का कहना है कि दुमका में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा जो भी योजनाएं चलायी जा रही है, उसकी स्थिति अत्यंत लचर है. जिला प्रशासन के पास आदिवासियों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि चाहे वह शिक्षा विभाग हो या स्वास्थ्य या कल्याण या फिर खाद्य आपूर्ति, आदिवासियों से संबंधित जो कल्याण की योजना है, जिन्हें जिन योजनाओं का लाभ दिया जाना है वह सही तरीके से उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. शिक्षा विभाग को तो यह जानकारी नहीं है कि अनुसूचित जनजाति के कितने बच्चे सरकारी स्कूलों में हैं या फिर एसटी टीचर्स की संख्या कितनी है. इसी तरह सभी स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल है. यहां तक कि दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चिकित्सक और कर्मियों की घोर कमी है. डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि दुमका में झारखंड सरकार के कल्याण विभाग द्वारा जो अनुसूचित जनजाति लड़कियों के लिए गर्ल्स हॉस्टल संचालित किया जा रहे हैं, वहां सुविधाओं की घोर कमी है. वहां रहने वाली छात्राएं खुले में स्नान करने को मजबूर हैं. बॉयज हॉस्टल में भी काफी कमियां हैं. बताया कि उन्होंने तत्काल प्रशासन को यह निर्देश दिया है कि डीएमएफटी फंड से इन कमियों को दूर किया जाय.
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