शिव पुराण मानव प्रकृति को चेतना के चरम तक ले जाने का विज्ञान : डॉ विनोद त्रिपाठी
बासुकिनाथ सेवा मंडल लिलुआ हावड़ा द्वारा आयोजित नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा आठवें दिन भागवतहंस डॉ विनोद त्रिपाठी ने शिव महापुराण का वाचन किया जा रहा है.
बासुकिनाथ. बासुकिनाथ सेवा मंडल लिलुआ हावड़ा द्वारा आयोजित नौ दिवसीय शिव महापुराण कथा आठवें दिन भागवतहंस डॉ विनोद त्रिपाठी ने शिव महापुराण का वाचन किया जा रहा है. कहा कि शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख-समृद्धि आनंद देनेवाली है. क्योंकि भगवान शिव कल्याण और सुख के मूल स्रोत हैं. शिव पुराण मानव प्रकृति को चेतना के चरम तक ले जाने का सर्वोच्च विज्ञान है. हमारी संस्कृति में शिव के लिए बहुत तरह के रूपों की कल्पना की गयी. उन्होंने कहा कि अगर आप इस एक शख्स, जो जीवन की हर चीज का जटिल संगम है, को स्वीकार कर सकते हैं, तो आपको किसी चीज से कोई समस्या नहीं होगी. अगर कोई बच्चा 20 साल की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यावहारिक दुनिया में प्रवेश करता है, तो उसकी बुद्धि का बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है, जिसे वापस ठीक नहीं किया जा सकता. इसका मतलब है कि वह बहुत ज्ञानी मूर्ख में बदल जाता है. जानकारी का विशाल भंडार आपकी बुद्धि को दबा देता है, जब तक कि वह एक खास रूप में आपको न दिया जाये. शिव जब अपने भगत पर प्रसन्न होते हैं, तो वह उसे सब कुछ प्रदान कर देते हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े प्रयास की जरूरत नहीं है. वह तो केवल सच्ची श्रद्धा और भक्ति के अधीन है. कार्यक्रम के सफल आयोजन में बासुकिनाथ सेवा मंडल लिलुआ हावड़ा के सदस्य सत्यनारायण गुप्ता, विष्णु गुप्ता, गोपाल धानुका, अखिलेश्वर सिंह, अक्षय कुमार, मोहित कुमार आदि लगे थे.
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