देवघर : संताल परगना प्रमंडल के किसी भी जिले में एमएड की पढ़ाई का कोई इंतजाम नहीं है. बीएड की डिग्री हासिल करने के बाद भी यहां के छात्र एमएड की पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. नतीजा हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में यहां के छात्र एमएड की पढ़ाई के लिए रांची या फिर दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के साथ-साथ यहां के छात्रों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है, बावजूद वे उच्च डिग्री हासिल कर शैक्षणिक क्षेत्रों में रोजगार हासिल करने की लालसा में कर्ज लेकर पढ़ाई करते हैं. इससे न सिर्फ छात्रों व उनके अभिभावकों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ता है, बल्कि एमएड की पढ़ाई के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये दूसरे प्रांतों में चले जाते हैं. दूसरी ओर लड़कियों के लिए एमएड की पढ़ाई प्राइवेट संस्थान डीपसर कॉलेज ऑफ एजुकेशन, देवघर में होती है. यहां 50 सीटों पर ही लड़कियों के नामांकन का प्रावधान है. यहां के विभिन्न छात्र संगठनों के अलावा छात्रों व अभिभावकों गार्जियन के द्वारा बार-बार मांग की जाती रही है कि संताल परगना के अलग-अलग जिलों में एमएड की पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये, ताकि यहां के छात्रों को एमएड की पढ़ाई के लिए किसी दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करना पड़े. इस पर अबतक न तो सकारात्मक पहल ही की गयी है, न ही कोई सकारात्मक परिणाम ही सामने आया है.
संताल परगना में देवघर, गोड्डा, दुमका, पाकुड़ व साहिबगंज में एसकेएमयू से संबद्ध पांच कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई होती है. इसके अलावा 10 प्राइवेट कॉलेजों में भी बीएड की पढ़ाई होती है. इसमें देवघर में तीन कॉलेज, जसीडीह में दो, मधुपुर में तीन कॉलेज सहित दुमका व पाकुड़ में एक-एक बीएड कॉलेजाें में बीएड की पढ़ाई होती है. यहां के छात्र बीएड की डिग्री हासिल करने के बाद उच्च डिग्री के लिए एमएड की पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन उनके सामने एमएड की पढ़ाई के लिए प्रमंडल में कोई इंतजाम नहीं है. नतीजा अर्थाभाव के बाद भी वो पढ़ाई के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं.
नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) के निर्धारित गाइडलाइन पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में ही सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका के अंगीभूत कॉलेजों में एमएड की पढ़ाई शुरू नहीं हो रही है. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, एमएड की पढ़ाई के लिए निर्धारित गाइडलाइन के तहत योग्य शिक्षक, निर्धारित वेतन का भुगतान, पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर, आग से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम सहित लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल की व्यवस्था आदि का इंतजाम होना जरूरी है. लेकिन, निर्धारित गाइडलाइन को पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में ही यहां के छात्रों को एमएड कोर्स से वंचित रहना पड़ रहा है.
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