दुमका पहुंचे नार्वे के राजदूत हंस जैकब फ्रायडेनलंड हुए भावुक, बोले-उनकी टीचर थीं संताली संस्कृति की प्रशंसक
नार्वे के राजदूत हंस जैकब फ्रायडेनलंड ने कहा कि उनके लिए यह एक भावनात्मक अनुभव है क्योंकि जब उन्होंने 1965 में अपनी स्कूली शिक्षा शुरू की थी, तब उनकी शिक्षिका संताली संस्कृति की प्रशंसा करती थीं.
दुमका: नार्वे के राजदूत हंस जैकब फ्रायडेनलंड (Hans Jacob Frydenlund) विशेष दौरे पर दुमका पहुंचे हैं. देवघर एयरपोर्ट से दुमका सर्किट हाउस पहुंचने पर उनका स्वागत पुष्पगुच्छ देकर एवं पारंपरिक लोटा-पानी से किया गया. जिला प्रशासन द्वारा पुस्तकालय में नियमित रूप से पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए दी बेसिक लेशन ऑफ इकोनॉमिक्स एंड लाइफ विषय पर उनका लेक्चर भी हुआ. उनके द्वारा नार्वे की इकोनॉमी, इको-सोशियो के साथ-साथ पर्यावरण विषय पर महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की गयी.
नार्वे के राजदूत हंस जैकब फ्रायडेनलंड ने कहा कि उनके लिए यह एक भावनात्मक अनुभव है क्योंकि जब उन्होंने 1965 में अपनी स्कूली शिक्षा शुरू की थी, तब उनकी शिक्षिका संताली संस्कृति की प्रशंसा करती थीं. उन्होंने भाषा, संस्कृति सीखी और संताली भाषा में लिखा भी, जो उनके लिए भी प्रेरणादायक है. इस बीच छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों पर राजदूत से सवाल किए गए, जिसका जवाब भी हंस जैकब फ्रायडेनलंड द्वारा बखूबी दिया गया. उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने भी अपने विचार रखे.
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उपायुक्त ने पुस्तकालय विजिट करने और बच्चों से इंटरैक्ट करने के लिए नार्वे के राजदूत का आभार व्यक्त किया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से ही नार्वे और भारत के बीच सोशियो-इको डेवलप होगी. विद्यार्थियों ने उपायुक्त से इस प्रकार के सेशन आगे भी कराने का अनुरोध किया. इस दौरान नार्वे के राजदूत ने लाइब्रेरी एवं भ्रमणशील पुस्तकालय का भ्रमण अवलोकन किया तथा किताबों के रखरखाव की तारीफ की. इस अवसर पर प्रशिक्षु आईएएस सन्नी राज, डीआरडीए डायरेक्टर जावेद अनवर इदरीश, एसडीओ कौशल कुमार, अंचलाधिकारी यामुन रविदास आदि उपस्थित थे.
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