रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जैविक खेती पर जोर
रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जैविक खेती पर जोर
प्रतिनिधि, बासुकिनाथ जरमुंडी प्रखंड के रामपुर गांव स्थित सामुदायिक भवन में सोमवार को किसानों के लिए एक दिवसीय जैविक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से परिचित कराना और उनकी कृषि उपज में सुधार करना था. बीटीएम मिथिलेश कुमार ने कहा कि जैविक खेती एक ऐसा कृषि दृष्टिकोण है, जो सिंथेटिक कीटनाशकों, रासायनिक उर्वरकों और आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के उपयोग से बचता है. यह मिट्टी की उर्वरता, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने वाली टिकाऊ तकनीकों पर आधारित है. उन्होंने रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव और उससे होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया. मिथिलेश कुमार ने किसानों को मटका त्वक, जोबामृत, बीजामृत और गेम आर्क जैसे जैविक उत्पाद तैयार करने की विधि सिखाई. उन्होंने बताया कि रासायनिक स्रोतों के अत्यधिक उपयोग से खेतों की उर्वरक क्षमता घट रही है, जिसे जैविक खेती के माध्यम से फिर से सक्रिय किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैविक खेती से गुणवत्तापूर्ण और पोषक तत्वों से भरपूर फसलें प्राप्त होती हैं, साथ ही जल की खपत भी कम होती है. कार्यक्रम में प्रशिक्षक आलोक कुमार ने मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और कृषि में जैविक विधियों के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने किसानों को यह समझाया कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों की आय में भी सुधार करती है. इस प्रशिक्षण में किसान संतोकी राय, जयशंकर यादव, सोहन यादव, रघुनाथ मंडल, सिकन्दर कुमार, मानदेव मरीक, भारती देवी, सुरावती देवी, लीलावती देवी सहित आसपास के विभिन्न गांव के दर्जनों किसान मौजूद थे.
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