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दुमका : पीजेएमसीएच रोटी के अभाव में चावल खाने को विवश हैं मरीज

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भर्ती मरीजों को अब रसोइ घर के सामने कतार लगाकर भोजन लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. अस्पताल प्रबंधन के द्वारा ट्रॉली से बेड तक भोजन पहुंचाया जाता है, जिससे अन्य मरीजों के साथ वैसे मरीज जिनके साथ कोई नहीं है.

दुमका : उपराजधानी के 300 बेड वाले फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के किचन से मरीजों को सुबह का नाश्ता के साथ दोपहर और रात में भोजन देने की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन भोजन को मरीजों के सामने देने से पहले जांच करने के लिए डाइटीशियन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. किस मरीज को किस प्रकार का भोजन देना है. यह डायटीशियन का काम होता है. इसलिए सभी मरीजों को एक प्रकार का भोजन उपलब्ध कराया जाता है. जबकि अस्पताल में डेंगू, मलेरिया, टीबी, किडनी, पेट, गर्भवती, हड्डी, सर्जिकल समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीज भर्ती हैं. इसमें अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित मरीज को अलग-अलग तरह का भोजन दिया जाना है. डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं, लेकिन सभी मरीजों को सिर्फ एक तरह का ही भोजन दाल, चावल, सब्जी रोटी व दूध दिया जाता है. हर दिन सभी मरीजों को रोटी नहीं मिल पाती है. जबकि चिकित्सक के द्वारा मरीजों को रोटी खाने की सलाह दी जाती है.

नियमानुसार मिलता है भोजन

प्रतिदिन सुबह मरीजों को नींबू चाय दी जाती है. सुबह के नाश्ते में एक अंडा, केला, सेब, ब्रेड व दूध दी जाती है. दोपहर में चावल, दाल, सब्जी, अंडा कढ़ी व अन्य दी जाती है. शाम में नींबू चाय और बिस्कूट, रात में रोटी, दाल सब्जी देने का प्रावधान है. लेकिन सभी को रोटी नहीं मिलती है.

भर्ती मरीजों को बेड तक भोजन पहुंचाने की सुविधा

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भर्ती मरीजों को अब रसोइ घर के सामने कतार लगाकर भोजन लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. अस्पताल प्रबंधन के द्वारा ट्रॉली से बेड तक भोजन पहुंचाया जाता है, जिससे अन्य मरीजों के साथ वैसे मरीज जिनके साथ कोई नहीं है. या चलने में असमर्थ है. उनकों काफी सहूलियत हुई है. स्वास्थ्यकर्मी हर फ्लोर के वार्ड में भोजन पहुंचा देते हैं.

क्या कहा सुपरिटेंडेंट

पीजेएमसीएच अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ अनुकरण पूर्ति में डाइटीशियन की आवश्यकता है. विभागीय बैठक में प्रस्ताव रखा गया है. तत्काल दो पदाधिकारियों को नियमित भोजन जांच करते हैं. मानव बल की कमी के कारण रोटी बनाने में परेशानी होती है. वैसे मरीज जिनको चावल नहीं खाना है, उन्हें रोटी उपलब्ध करायी जाती है. मेन्यू के मुताबिक प्रति मरीज को छह रोटी देने का प्रावधान है. 300 मरीजों के लिए प्रतिदिन रोटी बनाने में परेशानी होती है. जल्द ही टेंडर के माध्यम से रोटी बनाने की मशीन की खरीदारी की जायेगी. ताकि परेशानी न हो.

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