दुमका जिले में मयुराक्षी नदी पर राज्य के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन होने के साथ ही इसके नामकरण को लेकर विवाद गहराने लगा है. कार्यक्रम के दौरान मंच से घोषणा की गयी थी कि सरकारी प्रक्रिया के तहत इस पुल का नामकरण दिशोम गुरू शिबू सोरेन सेतु रखते हुए शिलापट्ट लगाया जायेगा. बाद में भाजपा व पहाड़िया समाज द्वारा इस पुल का नामकरण बाबा तिलकामांझी के नाम पर करने की मांग उठाई गई थी. इस बीच शुक्रवार की सुबह पुल के दोनों किनारे लगभग डेढ़ दर्जन हार्डिंगनुमा बोर्ड लगे दिखे. इस बोर्ड में शहीद तिलकामांझी की तस्वीर है और नीचे लिखा है बाबा तिलकामांझी सेतु. बाबा तिलका मांझी सेतु के नाम से लगे डेढ़ दर्जन बोर्ड के संबंध में स्थानीय लोगों से जानकारी ली गयी, तो किसी को नहीं पता है कि किसने बोर्ड लगवाया है.
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उद्घाटन के बाद भाजपा व पहाड़िया समाज ने तिलकामांझी सेतु रखने की मांग की थी
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्री बादल के प्रस्ताव पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन सेतु रखने की घोषणा की थी
30 अक्तूबर को हुआ है पुल का उद्घाटन
पांच दिन पहले, यानी 30 अक्टूबर को इस पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था और उद्घाटन के मौके पर मंच से ही उन्होंने कृषि मंत्री बादल के प्रस्ताव पर यह घोषणा की थी कि पुल का नाम दिशोम गुरु शिबू सोरेन सेतु होगा और इसके लिए जो आवश्यक सरकारी प्रक्रिया है, वह पूरी करते हुए शिलापट्ट लगाया जायेगा. इस घोषणा के तुरंत बाद रांची में भारतीय जनता पार्टी के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव और दुमका में पूर्व मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने प्रेस वक्त्व्य में राज्य सरकार से यह मांग की थी कि पुल का नाम अमर शहीद बाबा तिलका मांझी के नाम पर बाबा तिलकामांझी सेतु रखी जाये.