झारखंड में जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी का पद खाली,पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों को पेंशन मिलने में परेशानी
jharkhand news: दुमका में द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिकों के आश्रित पिछले 4 महीने से पेंशन से वंचित हैं. इसका मुख्य कारण झारखंड में जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी का पोस्ट खाली रहना है. पदाधिकारी के नहीं रहने से कई कार्य भी ठप पड़ा हुआ है.
Jharkhand news: झारखंड के पांच जिला सैनिक कल्याण कार्यालय दुमका के अलावा रांची, चाईबासा, हजारीबाग और गुमला में जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी का पद लंबे अरसे से खाली पड़ा हुआ है. इतना ही नहीं, राज्य स्तर पर नियुक्त होनेवाले निदेशक का भी पद खाली ही है. ऐसे में जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के पांचों केंद्र और उससे टैग सभी जिलों के भूतपूर्व सैनिकों, पेंशनरों के साथ-साथ कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन के लाले पड़ गये हैं. सभी कार्यालयों के पास पर्याप्त आवंटन भी है, पर डीडीओ नहीं रहने से उसकी निकासी भी संभव नहीं हो पा रही है.
वार विडो को पेंशन नहीं मिलने से परेशानी
सबसे अधिक परेशानी तो द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिकों के आश्रितों को हो रही है. जिन्हें पिछले दो तिमाही से पेंशन का भुगतान नहीं हुआ है. प्रत्येक महीने के 10 हजार रुपये की दर से हर तिमाही 30-30 हजार रुपये का इन्हें भुगतान किया जाता था. ऐसे वार विडो को पेंशन नहीं मिलने से उनके स्वास्थ्य से लेकर अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में काफी परेशानी हो रही है. दुमका जिले में ही द्वितीय विश्वयुद्ध के 5 सैनिकों के आश्रित विधवाएं हैं. दुमका शहर के शिव पहाड़ में रहनेवाली द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिक स्वर्गीय सुधीर मोहन दत्ता की पत्नी 100 वर्षीय शोभा रानी दत्ता कहती है कि पेंशन नहीं मिलने की वजह से कई तरह की परेशानी हो रही है. वे इलाज तक नहीं करा पा रही है.
अधिकारी के नहीं रहने से कार्य ठप पड़ा
जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के वरिष्ठ कर्मी निरंजन महतो बताते हैं कि 5 जुलाई से ही यहां जिला सैनिक कल्याण पदाधिकारी का पद खाली है. कुछ दिनों तक यह प्रभार में भी चला, पर दूसरे जगह में भी पद रिक्त होते गये. आज कहीं भी डीडीओ नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिक की विधवा व आश्रित को पेंशन ही नहीं कार्यालय के और भी काम ठप है. जिससे परेशानी हो रही है. भुगतान न होने की वजह से BSNL ने ब्रॉडबैंड का कनेक्शन काट दिया है. इससे सारा ऑनलाइन काम ही बंद हो गया है. गाड़ी-जेनरेटर के लिए डीजल तक खरीदने में परेशानी हो रही. भूतपूर्व सैनिकों के सत्यापन, पहचान पत्र देने का कार्य, किसी की मृत्यु के बाद दाह संस्कार के लिए राशि का भुगतान सहित राज्य सरकार द्वारा दिया जानेवाला अनुदान अथवा सहायता नहीं दी जा रही है. भूतपूर्व सैनिकों के निधन के उपरांत आश्रित को पारिवारिक पेंशन दिलाने का काम भी नहीं हो पा रहा है.
सीएम व मुख्य सचिव को भी दी गयी सूचना, पर पहल नहीं
मिली जानकारी के मुताबिक, डेढ़ महीने पहले 14 फरवरी को संबंधित राज्य के पांचों जिला सैनिक कल्याण कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से परेशानी को दर्शाते हुए समस्या का समाधान करने हेतु राज्य के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से अनुरोध किया गया था, पर उस दिशा में भी किसी तरह की कोई पहल नहीं हुई है. इधर पेंशन न मिलने से द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिकों के आश्रितों की सेहत पर भी असर पड़ने लगा है. परेशानी बढ़ने लगी है.
विधायक बसंत सोरेन ने भी किया सीएम को ट्वीट
इस दिशा में दुमका के विधायक बसंत सोरेन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट कर समस्या का निदान कराने का अनुरोध किया है. श्री सोरेन ने जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों की तकलीफ व द्वितीय विश्वयुद्ध के सैनिक के आश्रितों की परेशानी से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया है.
Posted By: Samir Ranjan.