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Prabhat Khabar Explainer: अंकिता हत्या मामले में आरोपियों पर लगा POCSO Act, जानें क्या है सजा का प्रावधान

दुमका की बेटी अंकिता कुमारी हत्या मामले में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट लगाया गया है. इस अधिनियम के तहत दोषियों को न्यूनतम सात साल और अधिकतम उम्रकैद के अलावा फांसी की सजा का भी प्रावधान है. इस मामले में CWC ने पॉक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ने की अनुशंसा की थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2022 9:22 PM

Prabhat Khabar Explainer: दुमका की बेटी अंकिता के उपर पेट्रोल उडेलकर उसे जलाने के मामले में 23 अगस्त को दुमका नगर थाना में दर्ज कांड संख्या 200/22 को अंकिता के मौत के बाद अब हत्या के मामले में बदल दिया गया है, वहीं इस केस में शाहरूख हुसैन के अलावा उसके सहयोगी नईम उर्फ छोटू को भी आरोपी बनाया गया है. पहले नईम उर्फ छोटू का नाम इस केस में नहीं था. शाहरूख 23 अगस्त को ही गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि नईम को अंकिता की मौत के बाद सोशल मीडिया में आये अंकिता के बयानों के बाद गिरफ्तार किया गया है. अंकिता को पहले केस में 19 साल का बालिग बताया गया था, पर बाद में उसके स्कूल में अंकित जन्मतिथि व मैट्रिक के सर्टिफिकेट में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर उसे सोलह साल से कम का ही पाया गया. ऐसे में मामले में अब भादवि की धारा 307 को हटाकर 302, 120 बी एवं 34 के अलावा पॉक्सो एक्ट (The Protection Of Children From Sexual Offences Act – POCSO Act) की धारा 12 जोड़ दिया गया है.

CWC ने लिया था स्वतः संज्ञान

इस मुद्दे को भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी व सारठ विधायक रणधीर सिंह ने भी उठाया था. वहीं, बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इस केस में पॉक्सो एक्ट की धाराएं जोड़ने की अनुसंशा एसपी से की है. 23 अगस्त की सुबह जरूआडीह की इस बालिका को जले हुए हालत में दुमका के फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कार्यपालक दंडाधिकारी चंद्रजीत सिंह ने 19 वर्ष उम्र होने का उल्लेख करते हुए उसका बयान दर्ज किया था जिसपर नगर थाना में भादवि की धारा 28, 307 व 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. 27 अगस्त की रात रांची के रिम्स में इलाज के दौरान बालिका की मौत हो गयी. 29 अगस्त को समिति को पता चला कि मृतका की उम्र घटना के दिन 15 वर्ष 9 माह थी. बाल कल्याण समिति, दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने जेजे एक्ट 2015 की धारा 30(12) के तहत मामले का स्वतः संज्ञान लिया. चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी, नूतन बाला एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र उसके घर पहुंचे.

चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार ने ली मृतक के पिता से जानकारी

चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार ने बताया कि समिति ने उसके पिता से घटना की जानकारी ली और बालिका का उम्र प्रमाण पत्र संबंधी कोई दस्तावेज मांगा. पिता द्वारा समिति को मृतका के उम्र प्रमाण पत्र के रूप में वार्षिक माध्यमिक परीक्षा 2021 का अंकपत्र प्रस्तुत किया गया जो जेजे एक्ट 2015 की धारा 94(1) के तहत उम्र निर्धारण के लिए एक वैद्य प्रमाण पत्र है. इस अंकपत्र के उसकी जन्म तिथि 26/11/2006 है. इसके मुताबिक घटना के दिन यानि 23/08/2022 को बालिका की उम्र 15 वर्ष 9 माह थी जो जेजे एक्ट 2015 की धारा 2(12) के तहत चाइल्ड की श्रेणी में आती है. मृतका के नाबालिग होने के आधार पर जेजे एक्ट 2015 के तहत प्रदत्त अधिकारों के तहत बाल कल्याण समिति दुमका की बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने नगर थाना कांड संख्या 200/22 में भादवि की धारा 354ए व 354डी और पोक्सो एक्ट 2012 की धारा 8/12 जोड़ने की अनुशंसा दुमका एसपी को की थी.

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क्या है पॉक्सो एक्ट

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण देने के उद्देश्य से इस अधिनियम को बनाया गया है. इसके तहत नाबालिग के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण जैसे अपराध और छेड़छाड़ करने के मामले में कार्रवाई की जाती है. इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का निर्धारण किया गया है. इस एक्ट के तहत 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा सुनायी जा सकती है.

क्या है सजा का प्रावधान

पॉक्सो एक्ट के तहत दोषियों को मौत की सजा का प्रावधान है. दोषियों को न्यूनतम सात साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस अधिनियम में बदलाव लाते हुए दोषियों को फांसी की सजा का अध्यादेश जारी किया. इस एक्ट के तहत 12 साल तक की बच्चों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा सुनायी जा सकती है. वहीं, 16 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने पर न्यूनतम सजा को 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है.

Posted By: Samir Ranjan.

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