समाज के उत्थान में निभानी होगी युवाओं को भागीदारी
प्रभात खबर संवाद में सामाजिक कुरीतियों को दूर करने पर जोर, बोले लोग
दुमका. विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर दुमका में प्रभात खबर ने जनजातीय समाज के युवाओं-पाठकों के साथ संवाद किया. इस महत्वपूर्ण अवसर पर समाज के उत्थान में उनकी भागीदारी को लेकर चर्चा की. संवाद के दौरान युवाओं ने अपनी भाषा-संस्कृति, पहनावा से लेकर अपनी पहचान से विमुख होते समाज को लेकर चिंता जाहिर की. लोगों ने नशा उन्मूलन और अंधविश्वास तथा सामाजिक कुरीतियों को भी आदिवासी समाज की प्रगति का बाधक बताया. लोगों ने कहा कि जिस तरीके से हम अपनी संस्कृति से दूर भाग रहे हैं, उससे हमारी आदिवासियत वाली पहचान पर भी खतरा उत्पन्न हो जायेगा. इसलिए समाज के उत्थान में युवाओं की भागीदारी होनी चाहिए. क्या कहते हैं समाज के लोग विश्व आदिवासी दिवस मनाने का भी ध्येय सही है कि जिन चीजों से आदिवासियों की पहचान है. वह अक्षुण्ण रखा जाये. समाज को विलुप्त होने से बचाया जाये. देश-दुनिया में आदिवासियों के हितों पर चर्चा हो रही है. साइमन हांसदा केवल आज के दिन ही आदिवासियों की सामाजिक-आर्थिक पहलुओं और सांस्कृतिक रूप से विमुख होने को लेकर चिंतन जाहिर करने से नहीं होगा, हम सबको इस चिंतन को जमीन पर भी उतारना होगा. राकेश कुमार हेंब्रम जनजातीय समाज दरअसल कई मामलों में पिछड़ा हुआ है. हमारे समाज में शिक्षा की कमी है. जागरुकता की कमी है. सरकारी स्तर पर योजनाएं तो चलती है, पर जानकारी के अभाव में लोग लाभ नहीं ले पाते. बाबूलाल मुर्मू वास्तव में यह दिन आदिवासियों के उत्थान को लेकर समावेशी रूप से चिंतन करने के लिए बना है. इस दिवस को मनाने की सार्थकता अब दिख भी रही है. विश्व के आदिवासी एकजुट, जागरूक व अपने अधिकार के लिए संघर्षशील हुई है. सरकार भी आदिवासियाें के लिए बहुत कुछ कर रही है. रामकृष्ण हेंब्रम अगर हम अपनी भाषा, संस्कृति और अपनी पहचान खो देंगे, तो हमारी विशिष्टता भी गौण हो जाएगी. हम आज शिक्षित हैं, तो हमें दूसरे आदिवासियों को शिक्षित, जागरूक बनाने का अपना सामाजिक दायित्व निभाना होगा. ठीक उसी प्रकार जैसे एक मोमबत्ती पूरे कमरे को रौशन करती है. रोजलीन हेंब्रम सामाजिक कुरीतियां और अशिक्षा आदिवासी समाज को विकसित समाज बनाने की राह में बड़ी बाधा है. अधिकांश क्षेत्र में आदिवासी युवा शीर्ष पर पहुंच रहे हैं. वंचितों के लिए उत्तरदायित्व निभाना होगा. सुनीता मुर्मू यह दिन केवल संताल समाज के उत्थान, एकजुटता की बात नहीं करता, पूरे विश्व के आदिवासियों के उत्थान व एकजुटता की बात करता है. हमारा संताल समाज भी कुरीतियों, अशिक्षा, अंधविश्वास से बाहर निकले. संतोष हांसदा
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