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दुमका में केस फाइलिंग पर लगी रोक का विरोध, निर्णायक लड़ाई के लिए बन रही है रणनीति

झारखंड राज्य अलग होने के बाद से ही दुमका में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग काफी तेज हो गयी थी, जिसे लेकर बराबर आंदोलन भी हुआ था. एक बार फिर दुमका के अधिवक्ता अब कि आंदोलन के मूड में है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2023 10:17 AM

दुमका में केस फाइलिंग पर लगी रोक के विरोध में दुमका अधिवक्ता संघ के सदस्य अधिवक्ता काफी नाराज है. हालांकि एक दिन पहले बुधवार को सभी अधिवक्ता उत्साहित थे कि दुमका से ही अब उच्च न्यायालय का काम हो पायेगा, लेकिन उद्घाटन के चंद घंटे बाद ही उच्च न्यायालय द्वारा द्वारा नया दिशा-निर्देश जारी किया गया कि अब केवल वह प्लेटफाॅर्म की तरह काम करेगा. केवल केस की सुनवाई ऑनलाइन होगी. वर्चुअल बेंच को लेकर अधिवक्ताओं में एक सप्ताह से काफी उत्सुकता थी. पीडीजे अनिल कुमार मिश्रा ने बकायदा अधिवक्ताओं को ऑनलाइन ट्रेनिंग की भी व्यवस्था करायी थी. ताकि अधिक से अधिक केस की फाइलिंग हो और वर्चुअल बेंच सुचारू रूप से काम कर पाये. दुमका में वर्चुअल बेंच में केस की सुनवाई के लिए सभी सुविधाओं से लैस किया गया था. ताकि ऑनलाइन सुनवाई सही तरीके से ही पाये. वहीं दूसरी ओर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता वर्चुअल बेंच को स्थापित होते देख काफी नाराज थे, जिसको लेकर उच्च न्यायालय में काफी नाराजगी जताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग उठी थी, उसी का नतीजा रहा बुधवार की शाम होते ही वर्चुअल बेंच वर्चुअल प्लेटफाॅर्म बन गया.


अलग राज्य बनने पर हाइकोर्ट के खंडपीठ की उठी थी मांग

झारखंड राज्य अलग होने के बाद से ही दुमका में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग काफी तेज हो गयी थी, जिसे लेकर बराबर आंदोलन भी हुआ था. एक बार फिर दुमका के अधिवक्ता अब कि आंदोलन के मूड में है. जिला अधिवक्ता संघ के निवर्तमान महासचिव राकेश कुमार ने कहा कि हमलोग कार्यकारिणी की मीटिंग कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, ताकि उच्च न्यायालय का काम दुमका से हो पाये. इस अवसर पर अधिवक्ता कमल किशोर झा, प्रेम गुप्ता, सुनील कुमार, अनिल कुमार झा, शंकर मंडल, त्रिपुरारी कुमार, नरेश प्रसाद भगत आदि उपस्थित थे. राज्य की हेमंत सरकार द्वारा भी दुमका में उच्च न्यायालय के खंडपीठ स्थापित करने को लेकर 15 फरवरी 2021 को प्रस्ताव पारित कर उसे केंद्र सरकार को भेजा गया था, उस समय झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू थीं. हालांकि इससे पहले की सरकार में भी बेंच गठित कराने के लिए झारखंड विधानसभा से प्रस्ताव दो बार पास हो चुका था.

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