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जीवात्मा के कल्याण का एकमात्र सरलमार्ग नाम स्मरण व नाम जाप:कुणालरूज

संकीर्तन के माध्यम से उन्होंने भगवान और उनका नाम को एक ही बताते हुए सत्यभामा और नारद का प्रसंग प्रस्तुत किया. कथा प्रसंग के दौरान सत्यभामा द्वारा अपने पति कृष्ण का दान ऋषि नारद को कर देते हैं

शिकारीपाड़ा. सार्वजनिक राधा कृष्ण मंदिर कुम्हारपाड़ा शिकारीपाड़ा द्वारा आयोजित 72 पहर की अखंड हरिनाम संकीर्तन के 5वें दिन सुखजोड़ा के कीर्तनिया कुणाल रूज ने बांग्ला पाला कीर्तन का गायन प्रस्तुत किया. संकीर्तन के माध्यम से उन्होंने भगवान और उनका नाम को एक ही बताते हुए सत्यभामा और नारद का प्रसंग प्रस्तुत किया. कथा प्रसंग के दौरान सत्यभामा द्वारा अपने पति कृष्ण का दान ऋषि नारद को कर देते हैं. फिर कृष्ण को उनसे प्राप्त करने के लिए कृष्ण के वजन के बराबर सोना देने का वचन देते हैं. पर सत्यभामा की अथाह स्वर्ण खजाना भी कृष्ण को तौल नहीं पाते हैं. तो तराज़ू के एक पल्ले पर कृष्ण नाम लिखी तुलसी पत्र ही दोनों पल्लों को बराबर कर दिया. उन्होंने इस युग में जीवात्मा के कल्याण के लिए एक मात्र सरल मार्ग नाम स्मरण व नाम जाप को बताते हुए कहा कि नाम में ही सूक्ष्म रूप से भगवान अवस्थित रहते हैं. जो समय के साथ प्रस्फुटित हो कर भक्त की कल्याण करते हैं. इस दौरान उन्होंने राधा कृष्ण से संबंधित भजन प्रस्तुत किया, जिससे आसपास का वातावरण भक्तिमय हो गया. कथावाचन के दौरान मृदंग में सोमनाथ मंडल व कार्तिक पाल, सोमनाथ, हराधन पात्र आदि ने संगत दी. इस अखंड हरिनाम संकीर्तन के सफल आयोजन में गंगाधर पाल, काशीनाथ पाल, सुजीत पाल, सामंत पाल, मनोरंजन पाल, रवीन्द्र पाल, अजित पाल आदि द्वारा विशेष भूमिका निभायी गयी.

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