दुमका दुष्कर्म की पीड़िता स्पेनिश महिला व उसके पति को प्रारंभिक उपचार के बाद फूलो झानो मेडिकल काॅलेज अस्पताल से देर शाम लगभग 6.30 बजे दुमका परिसदन में शिफ्ट कर दिया गया है. यहां सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें लाया गया है. ताकि वे आराम कर सकें. उन्हें उनके अनुरूप भोजन आदि उपलब्ध करायी जा सके, इसकी व्यवस्था भी सुनिश्चित करायी गयी है. यहां महिला व पुरुष पुलिस बलों को तैनात कर दिया गया है, ताकि अनावश्यक लोग उनतक न पहुंचे और उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो. मिली जानकारी के मुताबिक वर्ल्ड टूर पर निकले ये दाेनों टूरिस्ट कल रविवार को अपने टूर के लिए रवाना हो जायेंगे. इस लोमहर्षक घटना के बावजूद ये जल्द से जल्द अपने टूर पर निकलना चाह रहे हैं. बहरहाल रविवार को वे गंतव्य के लिए रवाना होंगे या नहीं, इस मामले में कोई भी अधिकारी कुछ भी बताना नहीं चाह रहे हैं.
डीआइजी-डीसी व एसपी ने अस्पताल में पीड़िता से की मुलाकात
शुक्रवार रात हंसडीहा थाना क्षेत्र के कुंजी गांव के पास पहाड़ी टीले के पास वीरान जगह में वर्ल्ड टूर पर निकली स्पेनिश दंपती के साथ मारपीट, लूटपाट तथा पति को बांधकर थोड़ा हटकर महिला के साथ किये गये दुष्कर्म की घटना के बाद जब सरैयाहाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से शनिवार की सुबह लगभग 10.15 बजे फूलो झानो मेडिकल काॅलेज अस्पताल लाया गया, तब उनसे घटनाक्रम की जानकारी लेने बारी-बारी से कई पदाधिकारी पहुंचे. डीआइजी संजीव कुमार, जिले के उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे, एसपी पीतांबर सिंह खेरवार व एसडीओ कौशल कुमार ने भी अस्पताल पहुंचकर अस्पताल प्रबंधन से जानकारी ली. पीड़िता के भी स्वास्थ्य व चल रही चिकित्सा की जानकारी ली. डॉक्टरों ने पीड़िता की स्थिति खतरे से बाहर बतायी है. मिली जानकारी के मुताबिक इलाज के उपरांत इस दंपती के ठहरने के लिए दुमका परिसदन इंतजाम किये जा रहे हैं. इसे लेकर दुमका परिसदन की भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है.
पांच साल पहले वर्ल्ड टूर पर निकले हैं दोनों, बाइक से कर चुके हैं 170000 किमी की यात्रा
दुमका. इस जोड़ी ने अब तक एक लाख सत्तर हजार किलोमीटर की वैश्विक यात्रा बाइक से ही पूरी की है. दोनों ने अलग-अलग मोटरसाइकिल रखी है. इरान, इराक, सउदी अरब के बाद ये पाकिस्तान पहुंचे थे और वहां 8000 किमी का सफर तय करने के बाद इन्होंने बाइक से ही जुलाई महीने में भारत में प्रवेश किया था. लद्दाख, बीकानेर के करनी माता मंदिर, कन्याकुमारी होते हुए ये फरवरी के आरंभिक सप्ताह में श्रीलंका भी पहुंचे थे. इन्हें पश्चिम बंगाल होते हुए नेपाल पहुंचना था, जिसके लिए इन्होंने यह रास्ता चुना था.