मजदूर से अग्निवीर बने संतोष मुर्मू, एकेडमी में हुआ स्वागत

संतोष मुर्मू की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. दुमका में पढ़ाई के साथ अपने खर्च निकलने के लिए मजदूरी का काम करता था. आर्मी अग्निवीर की ट्रेनिंग पूरी कर वापस आने पर जय जवान एकेडमी दुमका के छात्र-छात्राओं ने जोरदार स्वागत किया.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2024 8:37 PM
an image

दुमका. रामगढ़ प्रखंड के ताराटीकर गांव निवासी संतोष मुर्मू का आर्मी अग्निवीर की ट्रेनिंग पूरी कर वापस आने पर जय जवान एकेडमी दुमका के छात्र-छात्राओं ने जोरदार स्वागत किया. संतोष मुर्मू की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. संतोष मुर्मू दुमका में पढ़ाई के साथ अपने खर्च निकलने के लिए मजदूरी का काम करता था. जय जवान एकेडमी दुमका के संस्थापक एक्स मार्कोस कमांडो राज कुमार मंडल कहते हैं कि एक दिन संतोष उनके घर मजदूरी करने आए थे, तब उनकी मुलाकात संतोष मुर्मू से हुई थी. उन्होंने संतोष की काउंसिलिंग की और प्रेरित किया कि उनका जन्म मजदूरी के लिए नहीं बल्कि फौजी बनकर देश सेवा करने के लिए हुआ है. राज कुमार की इस बात को संतोष मुर्मू ने बहुत गंभीरता से लिया और जय जवान एकेडमी ज्वॉइन किया. कड़ी मेहनत की और आर्मी अग्निवीर में चयनित हुए. संतोष का प्रशिक्षण आर्मी आर्टिलरी सेंटर नासिक में हुआ है.

जय जवान एकेडमी के संचालक ने किया प्रेरित :

संतोष ने अपने संबोधन में छात्रों से कहा कि आज वे जहां पर पहुंच गए हैं, इनका पूरा श्रेय राज कुमार सर को जाता है. अगर वे उस दिन मजदूरी करने राज कुमार मंडल के घर नहीं आते तो शायद वे जिंदगी भर मजदूरी करते रह जाते. संतोष ने कहा कि वे एक बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं और अपने गांव में सरकारी नौकरी लेने वाले पहले युवक हैं. उनकी इस सफलता से गांव वाले एवं क्षेत्र के युवा काफी उत्साहित हैं. जय जवान एकेडमी में अभी वर्तमान में झारखंड पुलिस कांस्टेबल और आर्मी अग्निवीर का बैच चला रही है. राज कुमार मंडल ने कहा कि सिर्फ झारखंड पुलिस के लिए 700 छात्र-छात्राओं ने नामांकन लिया है. सबका प्रतिदिन सुबह 5 बजे से 7 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग होता है और अपराह्न 2 बजे से 6 बजे तक लिखित परीक्षा की तैयारी करायी जाती है. सभी गरीब छात्र-छात्राएं यहां पढ़ाई करने और फिजिकल ट्रेनिंग करने आते हैं और इनके बदले में राज कुमार मंडल एक रुपया भी किसी से नहीं लेते हैं. राज कुमार मंडल ने कहा कि भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात उन्हें सरकारी नौकरी करने का भी मौका मिला था, परंतु उन्होंने इसी को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version