18.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sawan 2020 : श्रावणी पूर्णिमा को सेंट्रल जेल से एक साथ निकला 2 पुष्प मुकुट, बाबा का हुआ शृंगार

Sawan 2020 : सावन पूर्णिमा के दिन हर साल देवघर जेल के बंदी 2 पुष्प मुकुट तैयार करते हैं. दोनों पुष्प मुकुट साथ-साथ जेल से निकलता है. एक फौजदारी बाबा बासुकिनाथ के शृंगार पूजा के लिए भेजा जाता है, जबकि दूसरे पुष्प मुकुट से बाबा बैद्यनाथ का शृंगार पूजा होता है. कोरोना संक्रमण के इस वैश्विक महामारी के दौर में इस वर्ष सावन पूर्णिमा को देवघर सेंट्रल जेल में कुछ खास आयोजन नहीं हुआ. लेकिन, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए बंदियों ने एक साथ 2 पुष्प मुकुट तैयार कर सदियों से चली आ रही इस परंपरा को कायम रखा.

Sawan 2020 : देवघर (आशीष कुंदन) : सावन पूर्णिमा के दिन हर साल देवघर जेल के बंदी 2 पुष्प मुकुट तैयार करते हैं. दोनों पुष्प मुकुट साथ-साथ जेल से निकलता है. एक फौजदारी बाबा बासुकिनाथ के शृंगार पूजा के लिए भेजा जाता है, जबकि दूसरे पुष्प मुकुट से बाबा बैद्यनाथ का शृंगार पूजा होता है. कोरोना संक्रमण के इस वैश्विक महामारी के दौर में इस वर्ष सावन पूर्णिमा को देवघर सेंट्रल जेल में कुछ खास आयोजन नहीं हुआ. लेकिन, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए बंदियों ने एक साथ 2 पुष्प मुकुट तैयार कर सदियों से चली आ रही इस परंपरा को कायम रखा.

बंदियों द्वारा तैयार किये दोनों पुष्प मुकुट को सेंट्रल जेल से साथ-साथ निकाल कर कारा परिसर के बाहर मंदिर में रखा गया. एक पुष्प मुकुट वाहन से जेल के एक कर्मी और चालक के साथ फौजदारी बाबा बासुकिनाथ के दरबार में भेजा गया. वहीं, बाबा बैद्यनाथ के दरबार में खुद पुष्प मुकुट लेकर जेलर मनोज गुप्ता एवं अन्य कर्मी गये. दोनों बाबा से जल्द कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की कामना बंदियों ने की.

Also Read: Sawan 2020 LIVE Update : कड़ी सुरक्षा में आखिरी सोमवारी को देवघर में बाबा बैद्यनाथ का हुआ दर्शन

जेलर मनोज गुप्ता ने बताया कि बाबा वैद्यनाथ को साल में प्रत्येक दिन कैदियों द्वारा निर्मित मुकुट चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन शिवरात्रि के दिन बाबा को मोर चढ़ाया जाता है. इसी की भरपाई के लिए सावन पूर्णिमा के दिन 2 मुकुट बनाकर एक बाबा बासुकिनाथ और दूसरा बाबा बैद्यनाथ को अर्पित किया जाता है. जेल कर्मियों की उपस्थिति में ही वहां बाबा का शृंगार होता है. यह परंपरा अंग्रेज जेलर के समय से ही चली आ रही है. हालांकि, इसका न तो कोई इतिहास है और न ही कोई लिखित दस्तावेज ही है.

कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय यहां पदस्थापित अंग्रेज जेलर के पुत्र की तबीयत बिगड़ गयी थी. लोगों के सुझाव पर उन्होंने बाबा बैद्यनाथ को मुकुट चढ़ाया था और उनके पुत्र की हालत सुधर गयी थी. तब से यह परंपरा चली आ रही है. जेल कर्मी एवं बंदियों द्वारा यह मुकुट तैयार किया जाता है. एक मुकुट में तकरीबन 5 किलो फूल लगता है.

इधर, सावन के आखिरी सोमवारी को बाबा बैद्यनाथ और बाबा बासुकिनाथ की पूजा अर्चना की गयी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर को सोमवार (3 अगस्त, 2020) को खोला गया है. सुबह- सवेरे मंदिर के पुजारियों ने बाबा बैद्यनाथ की विधिवत पूजा-अर्चना की. आपको बता दें कि झारखंड में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने सावन में शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी. सिर्फ ई दर्शन कराया गया.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें