सुदामा चरित व परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ श्रीमद् भागवत कथा का विराम

शिकारीपाड़ा प्रखंड के शिव मंदिर प्रांगण सरसाजोल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन सुदामा और कृष्ण के प्रेम का चित्रण किया गया. परीक्षित मोक्ष आदि प्रश्नों के सुंदर वर्णन प्रस्तुत किये.

By Prabhat Khabar News Desk | June 12, 2024 8:38 PM

शिकारीपाड़ा. प्रखंड के शिव मंदिर प्रांगण सरसाजोल में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन कथाव्यास राहुल कृष्ण दास द्वारा सुदामा और कृष्ण के प्रेम का चित्रण किया गया. उन्होंने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रश्नों के सुंदर वर्णन प्रस्तुत किये. कहा कि सुदामा भगवान कृष्ण के गुरुकुल के परम मित्र थे. पर भिक्षावृत्ति कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. गरीब होने के बावजूद हमेशा भगवान के ध्यान में मगन रहते थे. पत्नी सुशीला के बार-बार आग्रह पर सुदामा अपने परम मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिकापुरी पहुंचते हैं. जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का एक ब्राह्मण आपसे मिलने आया है, तो यह सुनते ही कृष्णा नंगे पैर दौड़ आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते हैं. उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण की आंखों से आंसू प्रवाहित होने लगते हैं. सिंहासन पर बैठकर कृष्ण ने सुदामा के चरण आंसुओं से ही धोते हैं. सभी पटरानियां सुदामा से आशीर्वाद लेती हैं. अगले प्रसंग में शुकदेव ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद् भागवत कथा की सुनायी, जिससे उनके मन से मृत्यु का वहम निकल गया. तक्षक नाग आता है और राजा को डंस लेता है. राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं. इसी के साथ कथा का विराम हो गया. इस अनुष्ठान में राजबांध, असना, जामकांदर, आसनबनी सहित आसपास के गांवों से श्रद्धालुगण शामिल हुए. इस दौरान श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया. कार्यक्रम के सफल आयोजन में मिहिर मंडल, सचिन मंडल, असीम कुमार मंडल, तपन मंडल, सपन मंडल, सोमनाथ मंडल, षष्ठी मंडल, आलोक मंडल, सनातन मंडल आदि ने विशेष भूमिका निभायी.

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