नैक एक्रीडिटेशन नहीं करा पाया है दुमका का सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, जानें क्या हो रहा इसका असर
SKMU Dumka: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका अभी तक नैक से एक्रीडिटेशन नहीं करा पाया है, नैक एक्रीडिटेशन नहीं रहने से विवि का विकास प्रभावित है.
रांची, आनंद जायसवाल: सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय नैक से सकेंड सेशन का एक्रीडिटेशन करा पाने में अब तक विफल रहा है. हालांकि, विश्वविद्यालय ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी है, पर इससे संबंधित ब्योरा उपलब्ध कराने का फॉर्मेट बदल जाने से विश्वविद्यालय को इसमें थोड़ा वक्त और लग रहा है. नैक एक्रीडिटेशन न होने से अनुदान की राशि पाने से कई कॉलेज वंचित हो जा रहे हैं. विश्वविद्यालय की तरह ही कई कॉलेज भी इस मामले में बेहद फिसड्डी साबित हो रहे हैं. नैक एक्रीडिटेशन नहीं रहने से कॉलेजों का विकास प्रभावित है और संस्थान की आधारभूत संरचना, पठन-पाठन के स्तर आदि का मूल्यांकन नहीं हो पाता है.
2018 में मिला था सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय का नैक एक्रीडिटेशन
सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका का नैक एक्रीडिटेशन 2018 में प्राप्त हुआ था. विभिन्न क्राइटेरिया में तब यह विश्वविद्यालय बेहद पिछड़ा हुआ था. रिसर्च के काम लगभग ठप थे. इनोवेशन व एक्सटेंशन के लिए भी अच्छे अंक विवि को तब प्राप्त नहीं हुए थे. लिहाजा विश्वविद्यालय को तब केवल 1.61 सीजीपीए ही अंक प्राप्त हुआ था. जिसके आधार पर विश्वविद्यालय को सी ग्रेड ही प्राप्त हो सका था. इस ग्रेडिंग को 2017 से प्रभावी बताया गया था. कायदे से एक्रीडिटेशन तीन साल के लिए दिया जाता है. यानी यह एक्रीडिटेशन अभी विवि का एक्सपायर कर चुका है. कुछ को छोड़ दिया जाए, तो विश्वविद्यालय के अधिकांश अंगीभूत व संबद्ध महाविद्यालय सकेंड सेशन तो दूर अब तक एक्रीडिटेशन ही प्राप्त नहीं कर सका है.
तीन-तीन साल बाद सुधर सकता है ग्रेडिंग
तीन-तीन साल के सेशन में फिर से नैक की वही प्रक्रिया अपनानी होती है. यानी एक्रीडिटेशन के चौथे साल के सकेंड सेशन में या कॉलेज की शैक्षणिक गुणवत्ता, अपनी आधारभूत संरचना, शैक्षणिक स्तर, मानव संसाधन, शोध, बेस्ट प्रैक्टिसेस आदि में ग्रेडिंग को सुधार कर सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में मयुराक्षी ग्रामीण महाविद्यालय रानीश्वर, संत जेवियर्स कॉलेज महारो, मधुस्थली बीएड कालेज मधुपुर व चाणक्या कॉलेज ऑफ टीचर्स एजुकेशन, दुमका इंजीनियरिंग कालेज, डीपसर देवघर जैसे संस्थान ही नैक से अभी एक्रीडिएट हैं.
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ग्रेड प्वाइंट सीजीपीए-ग्रेड स्टेटस
3.51 – 4.00 A एक्रीडिटेड
3.26 – 3.50 A एक्रीडिटेड
3.01 – 3.25 A एक्रीडिटेड
2.76 – 3.00 B एक्रीडिटेड
2.51 – 2.75 B एक्रीडिटेड
2.01 – 2.50 B एक्रीडिटेड
1.51 – 2.00 C एक्रीडिटेड
1.50 D नॉट एक्रीडिटेड
वित्त रहित शैक्षणिक संस्थानों के लिए राज्य सरकार ने अनुदान के लिए कर रखा है प्रावधान
झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा झारखंड राज्य वित्तीय रहित शैक्षणिक संस्थान (अनुदान) की संशोधित नियमावली 2023 के तहत सामान्य स्तर के महाविद्यालयों के लिए न्यूनतम ए ग्रेड रहने पर 500 छात्र में प्रतिमाह 12 लाख रूपये का किया गया है. उसी तरह बी ग्रेड के लिए प्रतिमाह 8 लाख, सी ग्रेड के लिए चार लाख रूपये व ग्रेडिंग नहीं रहने पर महज दो लाख रूपये के अनुदान का प्रावधान किया है.
किस ग्रेड में कितनी राशि का है प्रावधान
501 से 1000 छात्र रहने पर ए ग्रेड में 15 लाख, बी में 10 लाख, सी में पांच लाख व एक्रीडिएशन न रहने पर ढाई लाख रूपये का ही अनुदान का प्रावधान किया गया है. 1001 से 2000 रहने पर यह राशि क्रमश: 18 लाख, 12 लाख, छह लाख एवं तीन लाख रूपये है, जबकि 2001 या इससे उपर छात्र संख्या रहने पर ए ग्रेड में प्रतिमाह तीस लाख, बी ग्रेड में बीस लाख, सी ग्रेड में दस लाख रूपये तथा ग्रेडिंग न रहने पर महज पांच लाख रूपये का अनुदान दिया जाना है.
विज्ञान संकाय की पढ़ाई न होने पर कम मिलती है राशि
अगर किसी कॉलेज में विज्ञान संकाय की पढ़ाई नहीं होती, तो बीस प्रतिशत राशि कम ही मिलेगी. दुमका के ही एएन कालेज सकेंड सेशन नहीं करा सका है, जिस वजह से उसे नौ हजार से अधिक छात्र रहने पर भी महज पांच लाख रूपये प्रतिमाह का अनुदान मिल पाया. यानी पूरे साल के महज साठ लाख रूपये कॉलेज को बी ग्रेड पहले मिला था. ग्रेड भी होता, तो यह अनुदान की राशि साठ लाख की जगह दो करोड़ चालीस लाख रूपये प्राप्त हुई होती. ठीक इसके विपरीत मयुराक्षी ग्रामीण महाविद्यालय रानीश्वर ने सकेंड साइकिल में बी ग्रेड हासिल कर चुका है. ऐसे में जहां उस कॉलेज को पिछले साल महज साठ लाख रूपये का अनुदान मिला था, वहां इस बार उसे चार गुणा यानी दो करोड़ चालीस लाख रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ है.
क्या कहते हैं कुलपति
विश्वविद्यालय प्रशासन नैक के सकेंड सेशन के लिए पूरी तरह तैयारी कर चुका था. अब इसके फॉर्मेट में बदलाव कर दिया गया है. हम सभी की कोशिश है कि इस कार्य को हम जनवरी महीने में प्राथमिकता के साथ पूरी करा लें.
प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह, कुलपति, एसकेएमयू
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