कुदरत भेद बनाती है. भेदभाव नहीं. समाज कुदरत के बनायें भेद के आधार पर भेदभाव करने लगता है. बालिकाएं समाज के हांसिए में रह जाती है, जबकि बालिकाओं को सम्मान देने और दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गयी थी. यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि समाज को बालिकाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक बनाया जाये. इसके बावजूद आज बालिकाओं को शिक्षा में असमानता, बाल विवाह और यौन शोषण, स्वास्थ्य और पोषण तथा लैंगिक असमानता जैसे चुनौतियों से सामना करना पड़ रहा है. इसलिए समाज को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को इस स्वरूप में लेना चाहिए कि हमें बालिकाओं के सभी मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जिनका सामना बालिकाओं को करना पड़ता है. हमें उन्हें सशक्त और समान समाज में जीवन जीने का अधिकार दिलाना है. बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. ताकि वे बिना किसी भेदभाव के जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें. पिछले 25 वर्षों से संताल परगना में बालिकाओं के सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करते हुए देखा गया है कि संताल परगना में गरीबी बड़ा कारण है, जिससे बालिकाओं की शिक्षा छूट जाती है, तस्करी की शिकार हो जाती है. बाल मजदूरी करनी होती है. माता-पिता बोझ समझकर कम उम्र में शादी कर देते हैं, उनके सपने अधूरे रह जाते हैं. खासकर पहाड़िया और अदिवासी समाज में इसकी स्थिति भयावह है. इसलिए समाज को जागरूक होकर सोचना चाहिए कि हमारी बेटियां कैसे अपने सपनों की उड़ान भर सकें. समाज को एक नयी दिशा दे सकें. हमें अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन बालिकाओं की शिक्षा के लिए समर्थन करना है, बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय होना है. स्थानीय स्तर पर बालिकाओं के सशक्तीकरण से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है. सपोर्ट सिस्टम बनाकर अपने परिवार और समुदाय में बालिकाओं को समर्थन देना है, ताकि वे अपनी क्षमता को पूरा कर सकें. अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है, जो हमें बालिकाओं के अधिकारों, उनके भविष्य, और उनके सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध करता है. इस बार यह दिवस नवरात्र में उसी दिन पड़ रहा है, जब हम कन्याओं का पूजन देवी स्वरूप में कर रहे होंगे. यानी साक्षात देवी मानकर हम उन्हें पूजन करेंगे. हम इस दिवस पर कन्या पूजन के साथ यह संकल्प भी लेना होगा कि हर बालिका को अपने जीवन में सभी अवसर और समान अधिकार मिलें, ताकि वे निडर होकर अपने सपनों को साकार कर सकें. हम सभी अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करें कि हम बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए अपने स्तर पर कुछ न कुछ योगदान दें, ताकि एक ऐसा समाज बन सके, जहां हर बालिका सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त महसूस कर सके. कालेश्वर मंडल बालिका सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम कर रहें सामाजिक कार्यकर्ता
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