विश्वविद्यालय प्रशासन की हठधर्मिता से लंबा खींच रहा आंदोलन: कुंदन

शिक्षकेतरकर्मियों की तालाबंदी 27वें दिन जारी

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 10:55 PM

संवाददाता, दुमका एसकेएमयू और इसके सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में चल रहा तालाबंदी आंदोलन अब 27वें दिन में प्रवेश कर चुका है. शिक्षकेतर कर्मचारी अपनी एकमात्र मांग को लेकर अडिग हैं, और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी ठोस पहल नहीं की जा रही है. शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के प्रक्षेत्रीय अध्यक्ष परिमल कुंदन का कहना है कि इस संकट की जड़ विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रभारी कुलपति की हठधर्मिता है. कर्मचारियों के वेतनमान निर्धारण में देरी के लिए प्रशासन जिम्मेदार है, जबकि इसका खामियाजा अल्पवेतनभोगी कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारी और शिक्षक तो सातवें वेतनमान का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन 80% पद रिक्त होने के बावजूद अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ भेदभाव हो रहा है. महासचिव नेतलाल मिर्धा ने बताया कि आज भी कार्यरत कर्मचारियों में से केवल 10-15% के वेतन का निर्धारण छठे वेतनमान के तहत राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत है. बाकी कर्मचारियों का वेतन निर्धारण उच्च शिक्षा निदेशालय में अटका हुआ है. पहले के कुलपतियों ने सरकार से मिले अनुदान का उपयोग कर सभी कर्मचारियों को छठे वेतनमान का लाभ दिलाया था. लेकिन वर्तमान कुलपति की “कर्मचारी-विरोधी ” नीति के चलते सातवें वेतनमान का भुगतान नहीं हो रहा है. महासचिव मिर्धा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रभारी कुलपति राजभवन और राज्य सरकार के निर्देशों का बहाना बनाकर सभी को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जब बिना औपचारिक वेतन निर्धारण के पांचवें और छठे वेतनमान का भुगतान होता रहा है, तो सातवें वेतनमान में बाधा क्यों पैदा की जा रही है. यह विश्वविद्यालय प्रशासन की असंवेदनशीलता और अमानवीयता का प्रतीक है. मौके पर अतुल झा, वीरेंद्र प्रसाद साह सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे.

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