प्रतिनिधि, शिकारीपाड़ा प्रखंड के पलासी पंचायत स्थित राजबांध पलासी में नवान्न पर्व के अवसर पर भगवती अन्नपूर्णा देवी की पूजा अर्चना बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ की जा रही है. सेवाइत नाडुगोपाल चौधरी के अनुसार, इस पूजन की परंपरा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जमींदारी प्राप्ति के उपरांत उनके पूर्वजों द्वारा प्रारंभ की गई थी. बांग्ला पंचांग के अनुसार, यह पूजा 28 अगहन से 30 अगहन तक की जाती है. इस दौरान भगवती अन्नपूर्णा देवी, देवाधिदेव महादेव, श्री हरि विष्णु, ब्रह्मदेव, देवऋषि नारद और शांतिदेवी के प्रतीक स्वरूप कलश की स्थापना की जाती है. 28 अगहन : पूजा का आरंभ विधिवत जल संग्रह और नवान्न के भोग से होता है. इसमें राजबांध, पलासी और आसपास के गांवों के ग्रामीण उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं. 29 अगहन को हवन और यज्ञ का आयोजन किया जाता है. 30 अगहन को पूजा अर्चना के उपरांत जल और प्रतिमा का विधिपूर्वक विसर्जन किया जाता है. प्रतिमा विसर्जन के बाद क्षेत्र में आठ दिनों तक मेले का आयोजन होता है. पहले के समय में इस मेले में सर्कस, चिड़ियाघर और बड़े-बड़े बर्तनों और मिठाई की दुकानें आकर्षण का केंद्र होती थीं. हालांकि, बदलते समय के साथ सर्कस और चिड़ियाघर का आयोजन बंद हो गया है, लेकिन आज भी मेले में मनिहारी, बर्तन, लोहे के सामान, लकड़ी के फर्नीचर, पत्थर की वस्तुएं और मिठाई की दुकानें सजती हैं. भगवती अन्नपूर्णा की पूजा अर्चना और मेले के आयोजन में सेवाइत नाडुगोपाल चौधरी के साथ सुजीत चौधरी, संजीत चौधरी, सजल चक्रवर्ती, भैरव सरकार, पतित पावन भंडारी और निताई भंडारी विशेष भूमिका निभा रहे हैं.
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