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Dumka News: कुएं का गंदा पानी पीती आ रही पीढ़ी, गांव में समस्या घनघोर

काठीकुंड प्रखंड: झिकरा पंचायत के कुसुमघाटी गांव में सड़क और पानी की विकराल समस्या.

काठीकुंड प्रखंड: झिकरा पंचायत के कुसुमघाटी गांव में सड़क और पानी की विकराल समस्या प्रतिनिधि, काठीकुंड काठीकुंड प्रखंड के झिकरा पंचायत स्थित कुसुमघाटी गांव के नीचे टोला में 25 से अधिक परिवार निवास करते हैं. इस गांव के ग्रामीण वर्षों से बुनियादी सुविधाओं, विशेषकर सड़क और स्वच्छ पेयजल की भारी कमी का सामना कर रहे हैं. सैकड़ों की आबादी वाला यह गांव लंबे समय से सरकारी उपेक्षा का शिकार है. गांव से प्रखंड मुख्यालय फुलझिंझरी बाजार की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है, लेकिन जर्जर सड़कें यहां के निवासियों के लिए एक बड़ी बाधा बनी हुई हैं. आवागमन की यह कठिनाई न केवल ग्रामीणों के दैनिक जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी भारी परेशानी का सबब बनती है. काठीकुंड बाजार से जुड़ने के लिए ग्रामीणों को 6 किलोमीटर लंबी पथरीली और दुर्गम सड़क पर सफर करना पड़ता है. स्थिति इतनी खराब है कि बीमार व्यक्तियों के लिए एंबुलेंस गांव तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है. गांव में पानी की समस्या और भी गंभीर है. वर्षों से यहां एकमात्र कुआं है, जिसका पानी इतना प्रदूषित है कि कोई भी उसे देख कर पीना नहीं चाहेगा. बावजूद इसके, ग्रामीण इसी पानी का उपयोग पीने, नहाने और अन्य घरेलू कार्यों के लिए करने को मजबूर हैं. गर्मी के मौसम में जब कुआं पूरी तरह सूख जाता है, तो पानी के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि बीमारी के दौरान यही पानी उबाल कर पीना उनकी मजबूरी है. कुसुमघाटी के साथ-साथ झिकरा पंचायत के अन्य गांवों, जैसे गम्हारपहाड़ी, जो पहाड़िया और आदिवासी बहुल क्षेत्र है, में भी स्थिति कोई बेहतर नहीं है. यहां के लोग भी पानी और सड़क की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं. क्या कहते हैं ग्रामीण एकमात्र कुआं है, जिस पर हम पानी के लिए आश्रित हैं. डीप बोरिंग कराते हुए साफ पेयजल मुहैया कराया जाना चाहिए. मतला सोरेन सड़क और पानी की समस्या से जूझते हुए सालों हो गए. मेरे पिताजी भी इसी कुएं का पानी पीते थे और मैं भी इसी कुएं का गंदा पानी पीने को मजबूर हूं. मानसन बास्की गांव में सड़क तो बनी है, लेकिन काठीकुंड या पास के फुलझिंझरी बाजार जाने का रास्ता कच्चा और पथरीला है. कहीं न कहीं बदहाल सड़क का दंश हमे कई तरीकों से झेलना पड़ रहा है. दुलड़ मुर्मू चापानल लगाने की और पक्की सड़क बनाने की पहल हो. प्रखंड मुख्यालय,कई जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्या से अवगत करा चुके है. कहीं कोई पहल होती नहीं दिखती. सोम मुर्मू

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