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दुमका के चिचरो गांव में सड़क नहीं, मरीजों को खटिये पर ढोकर एंबुलेंस तक पहुंचाते हैं ग्रामीण

Jharkhand news (काठीकुंड, दुमका) : खटिये पर ढोकर गर्भवती को ले जाने की यह तस्वीर दुमका जिले काठीकुंड प्रखंड के बड़तल्ला पंचायत अंतर्गत चिचरो गांव की है. आज चिचरो व आसपास कई ऐसे गांव हैं, जहां तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. शुक्रवार की रात चिचरो गांव में एक गर्भवती महिला को खाट पर लाद कर ग्रामीण लगभग डेढ़ किलोमीटर कच्चा व कीचड़ भरा रास्ता तय करने के बाद एंबुलेंस तक पहुंचे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2021 3:59 PM

Jharkhand news (काठीकुंड, दुमका) : खटिये पर ढोकर गर्भवती को ले जाने की यह तस्वीर दुमका जिले काठीकुंड प्रखंड के बड़तल्ला पंचायत अंतर्गत चिचरो गांव की है. आज चिचरो व आसपास कई ऐसे गांव हैं, जहां तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है. शुक्रवार की रात चिचरो गांव में एक गर्भवती महिला को खाट पर लाद कर ग्रामीण लगभग डेढ़ किलोमीटर कच्चा व कीचड़ भरा रास्ता तय करने के बाद एंबुलेंस तक पहुंचे.

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार की रात करीब 9:30 बजे जब गर्भवती पद्दावती लोहारिन को मातृत्व दर्द शुरू हुआ, तो ग्रामीणों ने 108 पर कॉल किया. लेकिन, बारिश के कारण चिचरो गांव की कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील होने के कारण एंबुलेंस डेढ़ किलोमीटर दूर घासीपुर में ही रुक गयी. इसके बाद ग्रामीणों ने खाट पर लाद कर पहुंचाया. खैर पद्दावती एंबुलेंस के सहारे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच सकी और एक बच्चे को जन्म दिया.

करंट से बेहोश महिला को इसी तरह एंबुलेंस तक पहुंचाया गया था

इससे कुछ दिन पहले करंट लगने से बेहोश हुई चिचरो गांव की रानिया देवी को खाट पर लाद कर ही घासीपुर गांव में एंबुलेंस तक ले जाया गया था. गांव तक पक्की सड़क नहीं होने का खामियाजा भुगतने वाला चिचरो एकमात्र गांव नहीं है, बल्कि ऐसे कई गांव है, जहां कमोबेश यही स्थिति है.

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यहां के ग्रामीणों का कहना है कि रोड, बिजली कनेक्टिविटी व शुद्ध पेयजलापूर्ति हर सरकार की काम करने की प्राथमिकता सूची में रहती है. इन मूलभूत समस्याओं के लिए सरकार कई योजनाएं बनाती है. योजनाओं पर करोड़ों खर्च होते है. बावजूद इसके आज भी संताल परगना के क्षेत्र में स्थिति बदतर है.

Posted By : Samir Ranjan.

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