दुमका के जामा प्रखंड का हाल: जलमीनार के लिए लोहे का स्ट्रक्चर लगाया, पर पानी की टंकी नहीं
जिले के जामा प्रखंड का गांव है लकड़जोरिया. इस गांव की उपेक्षा और बदहाली का आलम यह है कि लड़के कुंवारे रह जा रहे हैं, गांव में कोई अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता.
दुमका : जिले के जामा प्रखंड का गांव है लकड़जोरिया. इस गांव की उपेक्षा और बदहाली का आलम यह है कि लड़के कुंवारे रह जा रहे हैं, गांव में कोई अपनी बेटी ब्याहना नहीं चाहता. गांव के चारो ओर तो अच्छी सड़क है. पर गांव में प्रवेश करने के लायक सड़क नहीं है. न कोई कार ढंग से आ सकती है.
न ही इमरजेंसी पड़ने पर एंबुलेंस, मोटरसाइकिल भी चलाना यहां आसान नहीं है. आदिवासी बाहुल्य लकड़जोरिया गांव में चार टोले है. इनमें लगभग 200 परिवार बसा हुआ है. आबादी 1200 से अधिक की है. इस क्षेत्र से वर्तमान में सीता सोरेन विधायक है. और यह उनका तीसरा टर्म है.
बावजूद गांव की बदहाली से लोगों में जबरदस्त आक्रोश है. वर्तमान में दुमका लोकसभा के सांसद सुनील सोरेन का भी यही गृह क्षेत्र है. वे खुद भी जामा प्रखंड के ही रहने वाले हैं. इतना ही नहीं इस क्षेत्र की जनता ने जब बदलाव किया था, तब उन्हें ही अपना विधायक चुना था, लेकिन किसी ने इस लकड़जोरिया गांव की समस्या पर ध्यान नहीं दिया.
पानी टंकी नहीं लगने पर उठे सवाल :
इस लकड़जोरिया गांव के प्रति सरकारी अनदेखी या लापरवाही की हद यह है कि दो वर्ष पूर्व यहां बोरिंग कर पानी टंकी लगाने का काम शुरू हुआ. टंकी लगाने के लिए स्ट्रकचर भी लगाया गया. लेकिन आज तक इस पर पानी की टंकी नहीं सेट की गयी. सवाल उठ रहे है कि आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही के प्रति किसी का ध्यान से क्यों नहीं गया.
संवेदक पानी टंकी लगाने का पैसा ढकार गया या अधिकारियों ने ही स्ट्रक्चरनुमा फ्रेम लगाने के बाद पानी टंकी नहीं लगवाया, माजरा जो भी हो, जलसंकट से जूझ रहे ग्रामीणों के साथ यह भद्दा मजाक ही है. गांव में पानी की भीषण समस्या है. चार टोलों में जो चापाकल है. उससे काफी कम पानी निकलता है. लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है.