भगवान को निःस्वार्थ भाव से अपना सर्वस्व समर्पित कर हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं

कथावाचिका मां ध्यानमूर्ति ने कहा कि जब-जब धर्म पर विपदा आती है तो उस विपदा को दूर करने के लिए भगवान का अवतार होता है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 24, 2024 9:36 PM

रामगढ़. प्रखंड के पथरिया पंचायत के मयूरनाथ में बुधवार को श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा के दौरान कथावाचिका मां ध्यानमूर्ति ने कहा कि जब-जब धर्म पर विपदा आती है तो उस विपदा को दूर करने के लिए भगवान का अवतार होता है. गजेंद्र मोक्ष की कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय शापित होकर गज व ग्राह के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार गंडक नदी के तट पर एक दिन जब गज पानी पीने आया तो ग्राह ने उसे पकड़ लिया. ग्राह से मुक्ति पाने के लिए गज बहुत समय तक लड़ता रहा. जब लगा कि गज की प्राण रक्षा नहीं हो पाएगी तो गज ने अपनी रक्षा के लिए आर्त स्वर में भगवान नारायण को पुकारा. अपने भक्त की करुण पुकार सुनकर नारायण दौड़े चले आए. वामन अवतार की कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि हमारे पास जो है वह सब कुछ भगवान का ही है. भगवान की वस्तुओं को भगवान को समर्पित कर मनुष्य न केवल जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति को प्राप्त कर सकता है बल्कि भगवान नारायण को भी प्राप्त कर सकता है. उन्होंने दैत्यराज बलि का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराज बलि ने सब कुछ भगवान वामन को समर्पित कर भगवान को ही प्राप्त कर लिया था. कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया. नंद बाबा के घर पर उत्सव के माहौल का सुंदर वर्णन करने के साथ ही कथा स्थल का पूरा माहौल उत्सव के रंग में रंग गया. नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के उद्घोष के साथ समूचा कथा स्थल गूंज उठा. भक्तों ने भजनों की धुन पर मगन होकर नाचते हुए श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद लिया. भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हुए भक्तों ने मिठाइयां, टाॅफी आदि बांट कर एक-दूसरे को बधाई दी. कथा व्यास ने कहा कि भगवान युगों-युगों से भक्तों के साथ अपने स्नेह के बंधन को निभाने के लिए अवतार लेते आए हैं. उन्होंने भक्त और भगवान के संबंध का वर्णन करते हुए प्रभु श्रीराम और उनके परम भक्त हनुमान के विषय में बोलते हुए कहा कि जिसपर हनुमान की कृपा होती है, उसे प्रभु श्रीराम की कृपा अनायास ही प्राप्त हो जाती है.

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