आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता सभी क्षेत्र में : डॉ खिरोधर
टेमसेक पॉलिटेक्निक सिंगापुर,ग्लोबल फाउंडेशन विलेज नई दिल्ली व लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब के एक्सपर्ट ने रखे विचार
एसपी काॅलेज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग पर अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का शुभारंभ संवाददाता, दुमका एसपी कॉलेज दुमका द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग: द नेक्स्ट फ्रंटियर इन रिसर्च इवेंट विषय पर चार दिवसीय वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का शुभारंभ किया गया. प्राचार्य डॉ खिरोधर प्रसाद यादव ने कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बहुत बड़ी भूमिका है. शिक्षा के बल पर ही जीवन स्तर ऊंचा किया जा सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता शिक्षा, शोध, कृषि, उद्योग आदि क्षेत्रों में भरपूर देखने को मिल रही है. कार्यक्रम में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब की डॉ राज सिन्हा ने कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यवहार को आज की जरूरत बतलाया. विषय प्रवेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप के कन्वेनर सह मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के निदेशक डॉ विनोद कुमार शर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी व व्यावहारिक जगत का एक अहम हिस्सा है. यह एक मानवीय संवेदनाओं और व्यवहारों का हू-ब-हू नकल या मिमिक्री करने वाला माध्यम है. यह चीजों को वैज्ञानिक तरीके से कम समय में रोग निदान, डेटा अरेंजमेंट एनालिसिस, व्याख्या, रिजल्ट और भविष्यवाणी कर दिखने का निष्पक्ष जरिया है, जहां कंप्यूटर और मशीनी जनित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के सहयोग से आसानी से जान लेते हैं. यह शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, भाषा, सामरिक क्षेत्र आदि के उत्तरोत्तर विकास में सहायक तो है. मगर मानवीय भावनाओं, अनुभवों, सहानुभूतियों आदि का विकल्प नहीं हो सकता है. ये रोजगार का स्वर्णिम क्षेत्र है तो बेरोजगारी को बढ़ाने वाला अप्रत्यक्ष समस्या भी है. मुख्य वक्ता के रूप में स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेटिक्स एंड आइटी, टेमसेक पॉलिटेक्निक सिंगापुर से डॉ सुरजीत दत्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है. इसके अत्यधिक निर्भरता से बचते हुए इसका व्यवहार करना चाहिए. जसबिंदर कौर ने एआइ के लाभ व सीमा को बताया दूसरे वक्ता ज्योति विद्यापीठ विमेंस यूनिवर्सिटी जयपुर से जसबिंदर कौर ने एआइ के बारे में विस्तार से बताया. एआइ के लाभ एवं सीमाओं की भी चर्चा की. उन्होंने मशीन लर्निंग, डीप फेक समेत इमेज, स्पीच लर्निंग को भी बतलाया. संसाधन सेवी के रूप में ग्लोबल फाउंडेशन विलेज नयी दिल्ली की मनाली राज ने भी अपने विचारों को रखा. कार्यक्रम में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भी अपने विचारों सहित प्रश्नों को भी रखा. आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर पूनम झा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रीमियर कॉलेज के उपलब्धियों पर संक्षिप्त में प्रकाश डाला. मंच संचालन बिलीवर्स ग्रुप पंजाब के सदस्यों ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोग्राम कॉर्डिनेटर डॉ कुमार सौरभ ने किया. कार्यक्रम को सफल और सार्थक बनाने में डॉ अनीता चक्रबर्ती, डॉ रूपम कुमारी आदि शिक्षकों ने सराहनीय भूमिका निभायी. अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप में शिक्षक, रिसर्च स्कॉलर, स्नातकोत्तर एवं स्नातक के विद्यार्थियों ने सक्रिय भागदारी सुनिश्चित की.
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