दो घरों में जीवित है सिर पर मैला ढोने की प्रथा, गरीबी से नहीं बना पा रहे सेफ्टी टैंक
मुसाबनी : एक तरफ देश को खुले में शौच मुक्त बनाने का अभियान चल रहा है, वहीं मुसाबनी में आज भी सिर पर मैला ढोने की प्रथा चल रही है. देश में सिर पर मैला ढोने की प्रथा समाप्त कर दी गयी है. देश में स्वच्छ भारत के तहत शौचालय निर्माण का अभियान चलाया जा […]
मुसाबनी : एक तरफ देश को खुले में शौच मुक्त बनाने का अभियान चल रहा है, वहीं मुसाबनी में आज भी सिर पर मैला ढोने की प्रथा चल रही है. देश में सिर पर मैला ढोने की प्रथा समाप्त कर दी गयी है. देश में स्वच्छ भारत के तहत शौचालय निर्माण का अभियान चलाया जा रहा है. मुसाबनी प्रखंड में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण चलाया जा रहा है. पश्चिमी मुसाबनी पंचायत को खुले में शौच से मुक्त पंचायत बनाने का अभियान चलाया जा रहा है.
सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है : मुसाबनी नंबर एक में दो परिवार के घर में आज भी पुराना शौचालय है. परिवार वाले गरीबी के कारण सेफ्टी शौचालय बनाने में असमर्थ हैं. सरकार की शौचालय निर्माण की योजना का लाभ इन परिवारों को नहीं मिल पाया है. मुसाबनी की विधवा हमीदा बानो किसी तरह से अपना परिवार चला रही है. गरीबी के कारण सेफ्टी शौचालय नहीं बना पायी है. विधवा शर्मिला बानो के घर में भी पुराना शौचालय है.
वृद्धा दूसरों के घर में काम कर चलाती है परिवार
वृद्धा शर्मिला दूसरों के घर में काम कर परिवार चलाती है. बेटा परवेज बीमार है. हमीदा बानो और शर्मिला बानो के परिवार में पुराने शौचालय होने के कारण प्रत्येक तीन से चार दिन में सफाई कर्मी से सफाई कराना पड़ता है. दोनों परिवार वाले अपने परिवार का खर्च काट कर सफाई कर्मियों से मैला सफाई कराते हैं. हमीदा बानो के मुताबिक शौचालय बनाने की गुहार लगायी है. यदि किसी कारण सफाई कर्मी नहीं आते हैं तो घर में ताला लगा संबंधियों के घर जाना पड़ता है.