350 फीट उंचे पहाड़ पर पूजी जायेंगी मां दुर्गा
दुर्गम मार्ग से पहुंच रही पूजन सामग्री गालूडीह : गालूडीह से सटे बड़बिल गांव के पास 350 फीट उंचे रंकिणी डुंगरी पहाड़ पर मां दुर्गा की पूजा होगी. इस पहाड़ पर देवी मठ रामकृष्ण विवेकानंद शारदा विद्यापीठ की ओर से दुर्गा मंदिर का निर्माण किया गया है. वर्ष 2005 से मठ की माताजी प्रव्राजिका श्राद्धमयी […]
दुर्गम मार्ग से पहुंच रही पूजन सामग्री
गालूडीह : गालूडीह से सटे बड़बिल गांव के पास 350 फीट उंचे रंकिणी डुंगरी पहाड़ पर मां दुर्गा की पूजा होगी. इस पहाड़ पर देवी मठ रामकृष्ण विवेकानंद शारदा विद्यापीठ की ओर से दुर्गा मंदिर का निर्माण किया गया है. वर्ष 2005 से मठ की माताजी प्रव्राजिका श्राद्धमयी पुरी ने पहाड़ पर दुर्गापूजा शुरू की. पहले घट स्थापित कर यहां पूजा होती थी. हालांकि बाद में पहाड़ पर दुर्गम मार्ग से ट्रैक्टर से किसी तरह ईंट, बालू, सीमेंट, टैंकर से पानी चढ़ाया गया.
धीरे-धीरे दुर्गा मंदिर निर्माण शुरू हुआ. आज यहां मंदिर का काम लगभग पूर्ण हो चुका है. हालांकि कुछ दिनों पूर्व माताजी का निधन हो गया. इस बार यहां रामकृष्ण विवेकानंद शारदा विद्यापीठ के सचिव स्वामी एस महाराज की देखरेख में आश्रम के अनुरूप सादगी पूर्ण पूजा होगी. पहाड़ पर ट्रैक्टर से पूजा सामग्री पहुंचायी जा रही है. दो-तीन अक्तूबर से देवी मठ के सभी लोग पहाड़ पर पहुंच जायेंगे. पूजा शुरू होगी. विजया दशमी तक लोग यहां रहेंगे. पहाड़ पर पूजा इस क्षेत्र के लिए उत्सुकता का विषय है, हालांकि पहाड़ तक चढ़ने के लिए कुछ दूरी तक पीसीसी सड़क बनायी गयी.
पहाड़ पर लाइट की सजावट आकर्षक लगता है. स्वामी एस महाराज ने कहा इस बार छऊ नृत्य समेत कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होना था. माताजी के निधन से सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए गये. पहाड़ पर बने मंदिर में मां रंकिणी की भी पूजा होती है. बताया गया कि प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को यहां मां रंकिणी की पूजा होती है. मान्यता है कि इस पहाड़ पर मां रंकिणी के पांव के छाप थे. इस पहाड़ का नामकरण रंकिणी डुंगरी हुआ. मां के पद चिन्ह की घेराबंदी कर उसी स्थल पर मां रंकिणी की मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है.