कुणाल, डॉ गोस्वामी या समीर महंती?
बहरागोड़ा : 23 दिसंबर यानी कि मंगलवार को मतों की गणना होगी और यह साफ हो जायेगा कि बहरागोड़ा विधान सभा क्षेत्र से जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा. यह सीट पहले झामुमो की रही है. यहां से झामुमो से विद्युत महतो विधायक बने थे, जो अब भाजपा में हैं और जमशदेपुर के सांसद हैं. […]
बहरागोड़ा : 23 दिसंबर यानी कि मंगलवार को मतों की गणना होगी और यह साफ हो जायेगा कि बहरागोड़ा विधान सभा क्षेत्र से जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा. यह सीट पहले झामुमो की रही है. यहां से झामुमो से विद्युत महतो विधायक बने थे, जो अब भाजपा में हैं और जमशदेपुर के सांसद हैं. यहां झामुमो व भाजपा दोनों ही जीत के लिए काफी मेहनत किया.
झामुमो की जीत के लिए जहां मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार में उतरे वहीं भाजपा की जीत के लिए स्वयं सांसद विद्युत महतो पहुंचे. देखना है कि यह सीट किसके झोली में जायेगी, भाजपा या झामुमो या फिर किसी और के. झामुमो प्रत्याशी कुणाल षाड़ंगी, भाजपा प्रत्याशी डॉ दिनेशानंद गोस्वामी या फिर झाविमो के समीर महंती में से किसकी ताजपोशी होगी. वैसे तो तीनों की उम्मीदवार अपने-अपने अंदाज में अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. राजनीति जानने वाले मानते हैं कि जिस प्रत्याशी को 50 हजार से अधिक मत मिलेंगे, उसकी जीत होगी.
कुणाल षाड़ंगी. झामुमो के प्रत्याशी कुणाल षाड़ंगी अपनी जीत के प्रति कुछ ज्यादा ही आश्वस्त नजर आते हैं. कुणाल षाड़ंगी पूर्व मंत्री डॉ दिनेश षाड़ंगी के पुत्र हैं. उन्हें अपने पिता के पॉकेट वोट तथा झामुमो के परंपरागत वोट पर भरोसा है. वे मानते हैं कि इस चुनाव में उन्हें युवा वर्ग का जबरदस्त समर्थन मिला है. श्री षाड़ंगी ने अपनी जीत पर आश्वस्त होकर कहा कि 15 हजार से अधिक मतों से उनकी जीत पक्की है. देखना है कि कुणाल षाड़ंगी एक इतिहास रच पाते हैं अथवा नहीं.
डॉ दिनेशानंद गोस्वामी. भाजपा के प्रत्याशी डॉ दिनेशानंद गोस्वामी भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं. वे कहते हैं कि वोटरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में झारखंड के विकास के लिए राज्य में स्थित सरकार के लिए भाजपा को वोट दिया है. डॉ गोस्वामी मानते हैं कि उन्हें 50 हजार से अधिक मत मिलेंगे और उनकी जीत होगी. देखना है कि डॉ गोस्वामी जीत का पहला स्वाद चख पाते हैं अथवा नहीं.
समीर महंती. झाविमो प्रत्याशी समीर महंती को चाकुलिया प्रखंड में अप्रत्याशित वोट मिलने के आसार हैं. श्री महंती ने चुनाव प्रचार में अन्य प्रमुख दलों की अपेक्षा तामझाम कम दिखाया, मगर वोटरों से उन्हें सहानुभूति मिली और उनके पक्ष में एक लहर सी चली. यही कारण है कि चाकुलिया प्रखंड में उन्हें सफलता मिलने और आसार बढ़े और प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की होश उड़े. अगर समीर महंती ने बहरागोड़ा प्रखंड में कोई गुल खिला दिया, तो फिर बाजी पलट भी सकते हैं.