तांत का गमछा बुनकर सबर महिलाएं बन रही स्वावलंबी
गालूडीह : घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत स्थित सबर बहुल हलुदबनी गांव की सबर महिलाएं और युवतियां तांत का गमछा, साड़ी, तौलिया बुनकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही है. इस काम में करीब 25 सबर महिलाएं और युवतियां जुड़ी है, जो अपने हाथ का हुनर दिखा कर रोजगार कर रही है. हलुदबनी गांव में […]
गालूडीह : घाटशिला प्रखंड की हेंदलजुड़ी पंचायत स्थित सबर बहुल हलुदबनी गांव की सबर महिलाएं और युवतियां तांत का गमछा, साड़ी, तौलिया बुनकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही है. इस काम में करीब 25 सबर महिलाएं और युवतियां जुड़ी है, जो अपने हाथ का हुनर दिखा कर रोजगार कर रही है.
हलुदबनी गांव में भारत सेवाश्रम संघ बड़ाजुड़ी द्वारा भारत सरकार की जनजातीय मंत्रालय के अनुदान से पीटीजीएस के लिए तांत बुनाई प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया जा रहा है. इस केंद्र के प्रशिक्षक हैं बुद्धेश्वर भकत. श्री भकत यहां की सबर महिला और युवतियों को तांत बुनाई का प्रशिक्षण देने का काम करते हैं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में करीब 25 सबर महिलाएं तांत बुनाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार कर रही है. केंद्र में शकुंतला सबर, जलेश्वरी सबर, फूलमनी सबर, मालती सबर, सोनिया सबर, सिंगो सबर, कलामनी सबर आदि अपने हाथ के हुनर से प्रति दिन 50 से 75 रुपये कमा लेती है. सबर महिलाओं ने बताया कि तांत का एक गमछा बुनने पर 25 रुपये पारिश्रमिक मिलते हैं. बड़ा गमछा बुनने पर 50 रुपये मिलते हैं या फिर प्रति दिन हाजरी में काम करने पर 50 रुपये मिलते हैं. तैयार गमछा को भारत सेवाश्रम बाजारों में 70 रुपये की दर से बेचता है. सबर महिलाओं को तांत बुनाई मशीन, धागा, सूत समेत अन्य जरूरत से सामान भारत सेवाश्रम ही उपलब्ध कराता है.