दिसंबर में सूखी सुवर्णरेखा, अप्रैल-मई में क्या होगा
गालूडीह : जल ही जीवन है. जल नहीं तो जीवन नहीं है, परंतु जल संकट दिन पर दिन विकराल रूप धारण करते जा रहा है. सुवर्णरेखा नदी इस क्षेत्र की जीवन रेखा है, परंतु पिछले कई वषों से इस नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दिसंबर माह में नदी सूख गयी […]
गालूडीह : जल ही जीवन है. जल नहीं तो जीवन नहीं है, परंतु जल संकट दिन पर दिन विकराल रूप धारण करते जा रहा है.
सुवर्णरेखा नदी इस क्षेत्र की जीवन रेखा है, परंतु पिछले कई वषों से इस नदी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. दिसंबर माह में नदी सूख गयी है. नदी के दोनों तटों में दूर-दूर तक पत्थर ही पत्थर नजर आ रहा है. यह नजारा गालूडीह बराज डैम के पास देखा जा सकता है. सुवर्णरेखा नदी का जल स्तर लगातार घट रहा है.
दिसंबर में यह हाल है तो अप्रैल-मई में प्रचंड गरमी के दिनों में क्या होगा. गालूडीह बराज डैम के सभी 18 फाटक खुले हैं. पानी रोका नहीं गया है. इसके बावजूद नदी का जल स्तर काफी घट गया है. कहा जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व चांडिल डैम में पानी रोका गया है. इसके कारण नदी का जल स्तर घटा है. लोग कहते हैं कि पहले भी चांडिल डैम में पानी रोका जाता था.
परंतु ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती थी. इस वर्ष ऐसी स्थिति देखी जा रही है. हालांकि बरसात में सुवर्णरेखा नदी लबालब था. समय के साथ नदी का जल स्तर घटता चला गया.
भूगर्भ जल स्तर नीचे जा रहा है. दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार कहते हैं कि भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. जल संचय पर अगर लोग ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाले दिनों में जल संकट विकराल रूप धारण करेगा. नदी का प्रदूषित होना.
नदी के पत्थरों का खनन होना. नदी में कचड़ा, मिट्टी डाल देना, तटवर्ती इलाकों का अतिक्रमण करना आदि कारणों से नदी का अस्तित्व मिट रहा है. इस पर रोक जरूरी है.