काशीचक : प्रखंड की विरनावां पंचायत के उपरावां, विरनावां, बजरंगविगहा, हरिहर विगहा, भागलपुर व सुम्भाडीह गांवों में सरकारी विद्यालय नहीं रहने के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. आंगनबाड़ी केंद्र के सहारे इन बच्चों को शिक्षा मिलने की योजना भी सरकारी फाइलों में सिमटी हुई है.
शिक्षा के अभाव में बेरोजगार युवक रोजगार के लिए पलायन करने पर विवश है. शिक्षा के अभाव के कारण सरकारी योजनाओं में दलालों की सक्रियता बढ़ी हुई है. जिससे इनके हक का बंदरबांट हो जाता है. इन गांव में रहने वाले दस प्रतिशत लोगों का नाम भी बीपीएल सूची में दर्जन नहीं हो सकी है. इससे इंदिरा आवास जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं का सपना अधूरा रहा गया है.
इन गांवों के 80 प्रतिशत लोग रोजगार के लिए सात महीनों तक दूसरे प्रदेश में रहते है. इससे राशन, केरोसिन, कूपन, पेंशन, वोटर कार्ड आदि इनके नाम नहीं हो रहे हैं. मसूदन मांझी बताते हैं कि इंदिरा आवास नहीं मिला है. विकास मित्र द्वारा सूची में अंक पीछे होने की बात कही है. बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है.
अगर रोजगार मिलता तो यहीं रहना आसान होता. पंचायत के मुखिया भी नवादा में ही रहते है. घर पर कभी नहीं आते है. इससे कोई कागजात बनाने या सही जानकारी पाने में दिक्कत हो रही है. चूल्हन मांझी ने बताया कि मेरा उम्र 62 वर्ष होने के बावजूद पहचान पत्र में क्रम उम्र है. जिसे लेकर वृद्घा पेंशन नहीं मिलता है. ब्लॉक का चक्कर लगा कर थक गये हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल रहा है.
वेदमियां देवी बतायी है कि पारिवारिक लाभ के लिए बहुत पहले आवेदन दिया. लेकिन अब तक आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. प्रखंड में भी सही जानकारी देने वाला कोई नहीं है. अब मरने के बाद ही सरकारी लाभ मिल पायेगा. इस संबंध में विकास मित्र राजेंद्र मांझी ने बताया कि इंदिरा आवास के लिए लाभुकों की सूची तैयार कर भेजी गयी है.
हाल के दिनों में दर्जनों लोगों को पेंशन की स्वीकृति भी दिलायी गयी है. अपने स्तर से विकलांग एवं पेंशन शिविर की जानकारी देकर योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.